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ऐसा लगता स्वर्ग छुपा हो मेरी मां के चरणों में

ऐसा लगता स्वर्ग छुपा हो मेरी मां के चरणों में

रचयिता : किशनू झा “तूफान”

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झुक जाती हैं ताकत सारी,
मातृशक्ति के शरणो में ।
ऐसा लगता स्वर्ग छुपा हो,
मेरी मां के चरणों में ।
दुख दर्दो को सहकर मम्मी,
हमको जीवन देती है।
खून पसीना पसीना बहा बहाकर,
मेहनत का धन देती हैं ।
सर्वश्रेष्ठ है ममता का रन्ग ,
दुनिया के सारे वर्णो में ।
ऐसा लगता स्वर्ग छुपा हो ,
मेरी मां के चरणों में
आये कोई भी सन्कट ,
बच्चों को सदा बचाती है।
गीले में सोकर के खुद ,
सूखे में उन्हें सुलाती है ।
रहें सुरक्षित हरदम बच्चे,
मम्मी के आवरणो में।
ऐसा लगता स्वर्ग छुपा हो ,
मेरी मां के चरणों में
बचपन की वो यादें मा की,
हमको बहुत सताती हैं ,
माँ का आँचल में सर हो,
तो नींद स्वतः ही आती है।
जल मन्दिर का हमें पिलाती ,
संग तुलसी के पर्णो में ।
ऐसा लगता स्वर्ग छुपा हो ,
मेरी मां के चरणों में
लेखक परिचय : –
नाम – किशनू झा “तूफान”
पिता – श्री मंगल सिंह झा
माता – श्रीमती अंजना झा
निवासी – ग्राम बानौली,(दतिया)
सम्प्रति – बी. एससी. नर्सिंग
अध्यक्ष – सत्यमेव जयते महाशक्ति संगठन
सम्मान – मध्यप्रदेश लेखक संघ द्वारा साहित्यकार सम्मान, कर्नाटक द्वारा साहित्य भूषण सम्मान, शब्द मधुकर सम्मान, जालंधर द्वारा काव्य शिरोमणि तुलसीदास सम्मान
विधा – गीत, गजल, दोहा, मुक्त, छन्द आदि

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