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मैं कमजोर नहीं

डॉ. तेजसिंह किराड़ ‘तेज’
नागपुर (महाराष्ट्र)
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इतिहास गवाह है हर जुल्म
और सीतम के खूनी पन्नों में
मेने इबारत लिखी हुई है
वतन पर मरने वालों में।

हर शास्त्र धर्म में रची बसी हूं
नारी शक्ति के शब्द रूपों में
मिटकर भी अमर कहानी
बनी रही मैं हर युगों में।

नई शक्ति का सृजन कर मेनें
नवराष्ट्र को हर बार रचा है।
असहनीय दर्द भी सहनकर
कोमल शिशु को सींचा हैं।

समय चक्र कि धारा में
कई बार टूटी और बिखरी हूं,
पर अब मैं अबला नहीं रही
खुद को सबल बना खड़ी हूं।

वैचारिकता के शब्दों ने भी
खुब अन्याय ढाये मुझ पर,
पर मजबूत इरादों से लडकर,
चौखट लांगकर बनी आत्मनिर्भर।

बराबरी के हक को लेकर
राष्ट्र विकास कि धूरी बनी हूं
अबला से सबला बनकर
इतिहास कि वो नारी बनी हूं।

विश्व जगत भी चकित हुआ
देखकर नारी की शक्ति से,
हर घर अब विकसित हो रहा
महिला-पुरुष कि सहभागी शक्ति से।

परिवार, समाज हर क्षेत्र में
अब मुझें समझने लगे हैं,
मतभेद और मनभेद को छोड
हर क्षेत्र में कदम मेरे बढने लगे है।

यह उत्सव नहीं कोई
ये हक है नारी शक्ति का,
सदियों कि संघर्ष कहानी का
आज खुशी है दुनिया में सबको
सम्मान मिला अब जो महिला दिवस का।

परिचय :- डॉ. तेजसिंह किराड़ ‘तेज’
मूल निवासी : अमझेरा, जिला धार (म.प्र.)
जन्म दिनांक : १२/११/१९६६
शिक्षा : एम.ए.,एमफिल, पीएच.डी
* वरिष्ठ पत्रकार व राजनीति विश्लेषक
* शिक्षाविद्‌
* भूगोलवेत्ता
* पीएचडी शोध सुपरवाईजर
* कवि, कहानीकार व लेखक
सम्प्रति : (सहायक कुलसचिव ) नागपुर (महाराष्ट्र)
सम्मान : ग्राम गौरव अवार्ड, समाज रत्न सम्मान, समाज भूषण अवार्ड, उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान, प्रखर प्रवक्ता सम्मान, साहित्य रत्न और साहित्य भूषण सम्मान, यंग ज्याग्राफर्स अवार्ड, क्रांतीकारी लेखक सम्मान, उत्कृष्ट मंच संचालक सम्मान, शब्द अलंकरण सम्मान, सरस्वती मानस सम्मान, उत्कृष्ट समाज सेवक सम्मान आदी सम्मान से सम्मानीत।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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