Tuesday, December 3राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

शालू

अमिता मराठे
इंदौर (मध्य प्रदेश)
********************

आज शालू गुमसुम बैठी थी। मन में कई प्रकार के गुब्बारे उड़ रहे थे। सभी स्वछंद होकर बिना रोक-टोक के उड़ना चाह रहे थे। पढ़ाई जहां इंसान की बुध्दि का विकास करती हैं, वहीं नियम कायदे और अनुशासन किसी हद तक बांधने की कोशिश करते हैं।
घर में ममा जहां बुद्धिजीवियों में श्रेष्ठ थी वहीं पापा चार क़दम आगे थे। सदा व्यस्त रहना पसंद करते थे। दोस्तों के साथ चौबीस घंटे गप लगाने को मिल जाए तो भी तैयार रहते थे। बातों में सारी दुनिया सिमट जाती थी।
वैसे भी हमारे घर में प्राचीनता और आधुनिकता का संगम दिखाई देता था। दादी कहती “आजकल समाज का रवैया अजीब हो गया है। इसलिए चाल चलन, रहन सहन, बाल कटाने वाली तथा जींस का पहराव कतई नहीं होना चाहिए।
ममा, पापा तो कभी लीक से जुड़कर चलते तो कभी लीक से हटकर चलते। मैं तो घबरा जाती हूं। जब मेरा रिंकू के साथ घूमना, उसके घर जाना देखकर आपस में जमकर बहस करने लगते, तो कभी बड़े प्यार से पूछते, “शालू आज रिंकू आया नहीं; क्या बात है, झगड़ा हो गया आपस में?
मैं सकपका जाती और सहजता से कहती बस तैयार होकर हम एक बर्थ डे पार्टी में जा रहे हैं।
फिर एकदम घने अंधेरे जैसी शान्ति फैल जाती थी।
रिंकू की पहचान नयी नहीं थी, वो और मैं नर्सरी से साथ में पढ़ें, काॅलेज में भी साथ में रहने का सौभाग्य मिला था।
वैसे तो दूसरे भी दोस्त थे लेकिन रिंकू से पास का संबंध हो गया था। बात बस विचारो और भावनाओं का मेल था। हमारे आपस में फ्री-लव और फ्री सेक्स जैसी कोई बात नहीं थी। मौज मस्ती और खुशी का एहसास, उसे भी अब ममा मना करती हैं।
पहले तो पूरी आजादी दे दी अब यह आजादी कतई पसंद नहीं, कहती हैं।
एक दिन मैंने ममा से कहा, “सामने वाले मकान में लड़के रहने आये हैं”। उनका व्यंग्य कसना, घूरकर देखना मुझे पसंद नहीं। यदि रिंकू को पता चल जाए तो एक-एक को पछाड़ देगा। मैंने कुछ खींज और उत्सुकता से सारी बात कहीं, लेकिन ममा ने कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं दिखाई थी। मैं हैरान हो ममा को देखती रह गई। मेरे घर के बाहर आने जाने की ओर निगरानी करती ममा को चुप देखकर कहा, ममा आप नहीं जानती ये रिंकू जैसे भले लड़के नहीं है।
कोई बात नहीं कल उन्हें घर चाय पर बुलाकर तुम्हारा परिचय करवा देते हैं। बैठक में बैठे पापा ने भी इस बात का तपाक से समर्थन किया।
मैं अवाक् हो देखती रही। मुझे ममा की बात पर विश्वास ही नहीं हो रहा था ‌।
पापा बोले, हां-हां बुलाकर थोड़ी गपशप करने में क्या हर्ज है। मैं दोनों का यह आधुनिकता का रूप देख रही थी। मैंने ऊंची आवाज में कहा जब आप रिंकू के साथ जाने को मना करते हो तो इसकी क्या जरूरत।
अच्छा रिंकू को भी बुला लो, इस उम्र में तो मौज मस्ती होनी ही चाहिए।
दूसरे दिन ठीक शाम के चार बजे सबका जमावड़ा घर में था। माँ ने कुछ तैयारी की कुछ मुझे करने के लिए कहकर बैठक में चली गई थी। हंसी की लहरें उमड़ रही थी। शालू उदास थी। रिंकू नहीं आया था। मुझे इस महफिल में तनिक भी रुचि नहीं थी। लेकिन अनमने मन से शामिल हो गई थी।
कुछ भी हो जाए आज ममा पापा से फायनल बात करूंगी कि वे क्या चाहते हैं मेरे से। इस दोगले वातावरण से तंग हो गई हूं हालांकि मैं कदम सम्हलकर रखती हूं। मेरा कोई प्रेम प्रसंग है ना कोई रिंकू के साथ भागने का विचार है। ऐसी घटनाओं ने मुझे बहुत कुछ सीखा दिया है।
सबकी पैनी नजरों का सामना अच्छी तरह कर सकती हूं। साफ दिल हूं। बस ममा समझे मुझे। किसी ने धीरे से गुमसुम बैठी शालू के कंधे पर हाथ रखा। विचार तंद्रा भंग होते ही उसने पीछे देखा ममा खड़ी थी।
स्नेहिल स्पर्श और प्यार भरी दृष्टि से ममा कह रही थी, “बेटी, तू क्यों नहीं समझती तुझे लेकर हमने कितनी महत्वाकांक्षाएं मन में संजोई है। तुम्हारी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी होते ही हम तुम्हें विदेश भेजना चाहते हैं।
अच्छा तो उठो, नीचे तुम्हारे अमेरिका से आया दोस्त रविंद्रनाथ भी है और रिंकू भी पधारें हैं। वाकई में माँ के विशाल ह्रदय की गहराई नापना हो तो माँ ही बनना पड़ेगा सोचकर मैं उठकर ममा के साथ बैठक में आई। देखकर दंग रह गयी, रवीन्द्र और रिंकू पापा के साथ जमकर अपनी प्रिय आलू की कचोरी का मजा ले रहे थे। अब मैं समझ गई थी कि ममा को जितना इतना आसान नहीं। ममा के मन में कैसी सोच की लहरें उमड़ रही है, जानना मुश्किल था। मुझे देखते ही हलो, हाय की ध्वनि के साथ प्रसन्नता ने अपना आवरण फैला दिया था।

परिचय :- अमिता मराठे
निवासी : इन्दौर, मध्यप्रदेश
शिक्षण : प्रशिक्षण एम.ए. एल. एल. बी., पी जी डिप्लोमा इन वेल्यू एजुकेशन, अनेक प्रशिक्षण जो दिव्यांग क्षेत्र के लिए आवश्यक है।
वर्तमान में मूक बधिर संगठन द्वारा संचालित आई.डी. बी.ए. की मानद सचिव।
४५ वर्ष पहले मूक बधिर महिलाओं व अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए आकांक्षा व्यवसाय केंद्र की स्थापना की। आपका एकमात्र यही ध्येय था कि महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके। अब तक आपके इंस्टिट्यूट से हजारों महिलाएं सशक्त हो चुकी हैं और खुद का व्यवसाय कर रही हैं।
शपथ : मैं आगे भी आना महिला शक्ति के लिए कार्य करती रहूंगी।
प्रकाशन :
१ जीवन मूल्यों के प्रेरक प्रसंग
२ नई दिशा
३ मनोगत लघुकथा संग्रह अन्य पत्र पत्रिकाओं एवं पुस्तकों में कहानी, लघुकथा, संस्मरण, निबंध, आलेख कविताएं प्रकाशित राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था जलधारा में सक्रिय।
सम्मान :
* मानव कल्याण सम्मान, नई दिल्ली
* मालव शिक्षा समिति की ओर से सम्मानित
* श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान
* मध्यप्रदेश बधिर महिला संघ की ओर से सम्मानित
* लेखन के क्षेत्र में अनेक सम्मान पत्र
* साहित्यकारों की श्रेणी में सम्मानित आदि


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें...🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *