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मेरा वजूद

प्रीतम कुमार साहू
लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़)
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मिलेगा  गम  तो खुशियों  में  बदल देंगे !
खुशियों के सौदागर है, गम के खरीददार नहीं !!

खुश है और खुश रहकर हम खुशियाँ बांटेंगे !
लूट ले मेरी खुशियाँ किसी का अधिकार नहीं !!

लोगों  को  खैरात में  हम खुशियाँ  दे देंगे !
माँगे किसी से  खुशियाँ  हम तलबगार नहीं !!

ना दिखाओ ज़ख्म  जमाने को, दर्द ही मिलेंगे !
मिटा सके ज़ख्म मलहम का कारोबार नहीं !!

ये जालिम  जमाना  है यहाँ गम ही मिलेंगे !
दे दे  रंज भर सुकून हमें, कोई वफादार नहीं !!

आएंगे   बुरे  वक़्त  तो सामना कर लेंगे !
वक़्त  के सिपाही  हैं कोई  गुनहगार नहीं !!

इतिहास के  पन्ने  है  हम, लोग पलटते रहेंगे !
मिट जाए  वजूद  मेरा  मैं अखबार  नहीं !!

परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक)
निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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