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जिन्दगी आपसे

शत्रुहन सिंह कंवर
चिसदा (जोंधरा) मस्तुरी
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ये संसार हमारे बिन ना है अधूरी
ना हम है संसार बिन अधूरी
तन्हाई का आलम है बरक़रार
सिवा उसका इंतजार का आलम
हैं ख़ामोश ये जिंदगी की डोरी
जो तोड़े से भी ना टूटे ये डोरी
करवाए भी बदलती है जिंदगी की
आरजू भी है बदलती जिन्दगी की
ना कोई शिकवा है आपसे
है शिकवा जिन्दगी आपसे।

परिचय : शत्रुहन सिंह कंवर
निवासी :  चिसदा (जोंधरा) मस्तुरी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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