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बचपन कि वो यादे

परमानंद सिवना “परमा”
बलौद (
छत्तीसगढ)
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बचपन कि वो यादे,
याद बहुत आती है,
हंसना रोना मिलकर रहना
वो पल बहुत सताती है.!

बचपन के वो खेल खिलौने
गिल्ली-डन्डा, भौरा-बाटी,
दादा-दादी, नाना-नानी कि
गोद मे बैठ कर कहानी सुनना .!

उम्र बढ़ी बचपना घटी सपने
पुरे करने कि दिन है आई,
बिताये पल वो याद आते है,
आंखों मे मे आंसू दे जाते है.!

बचपन मे झगडना फिर
दोस्तों से मिल है जाना,
अब तो दुरीया इतनी बढी बस
दोस्तों कि यादो मे दिन है पहाना.!

काश को बचपन फिर से लौट आये
फिर से खुशीयो कि बौझार है छाय,
चंदा मामा, कि कहानी
दादी-नानी फिर से सुनाये.!

बचपन कि वो यादे,
याद बहुत आती है,
हंसना रोना मिलकर रहना
वो पल बहुत सताती है.!!

परिचय :-परमानंद सिवना “परमा”
निवासी – मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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