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भारत-माँ का वीर लाल

सुप्रिया सिन्हा
बरियारपुर, मुंगेर (बिहार)
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धन्य है ! हमारी भारत-माता
धन्य है ! भारत-माँ का वीर लाल,
वतन-ए-आबरू बचाने के लिए
अर्पित कर दिया अपना भाल।

प्रखर शिलाखंड जैसी दृढ़ काया
अदम्य-उन्नाद-फड़कती भुजा,
केशरी की तरह उद्वेग गर्जन
थामे शमशीर, प्रबल-पंजा।

स्वतंत्रता के रण में
चला जीवट वीर जवान
रिपुओं के नापाक इरादे
का विध्वंस करने,
परवश अनल की
दहकती चिंगारी को
अपने फौलादी भुजबल
से ध्वस्त करने।

रूके नहीं कभी
जोशीले कदम उनके
बढ़ता गया वो
अथक, अविचल ,,,
परतंत्रता के साँकल
को तोड़ने के लिए
दुश्मनों के आगे डटा रहा
बन के अडिग उपल।

पेशानी पर भारत-माँ की
मिट्टी का कर तिलक
सरफरोश के असीम
जज्बे का आगाज़ कर,
शत्रुओं से लड़ता रहा
वो मरते दम तक
अपने उबलते खून में
इंकलाब की ज्वाला जगाकर।

उन्होंने लहू का
कतरा-कतरा बहा दिया
हो गए शहीद जाँ से
प्यारे वतन के लिए,
हँसते-हँसते फाँसी के
फंदे पर लटक गए
दे दी कुर्बानी अपने
हिन्दुस्तान के लिए।

करके अपनी
जान‌ न्योछावर
पूरे हिंद को आजादी की
सौगात दे गए,
करके अपना सर्वस्व
समर्पित, अमर बलिदानी
अपनी मातृभूमि को
दासता से मुक्ति दिला गए।

सौ-सौ बार नमन उनको,
वंदन बारम्बार है
नमन है उनकी शहादत
अदम्य वीरता को,
ख़ाक में राख कर दी
जिसने अपनी हस्ती
सलाम है ऐसे अमर
शहीद की शौर्यता को।

परिचय :- सुप्रिया सिन्हा
जन्मस्थान : भीखनपुर, शाहकुण्ड, भागलपुर
वर्तमान पता : बरियारपुर, मुंगेर (बिहार)
शिक्षा : एम्.ए. हिंदी पी.जी. डिप्लोमा (मास कम्युनिकेशन)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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