Sunday, November 24राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

समझो द्वारे पर है बसन्त

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
इन्दौर (मध्य प्रदेश) 

********************

मद्धिम कोहरे की छटा चीर
पूरब से आते रश्मिरथी के स्वागत में
जब गगनभेद कलरव करती
खगवृन्द पंँक्ति के उच्चारण
खुद अर्थ बदलते लगते हों,
जब मौन तोड़ कोयलें
बताने लगतीं हों,
समझो द्वारे पर है बसन्त।।

उनमुक्त प्रकृति की हरियाली
सर्वथा नवीना कली-कली
कदली जैसी उल्लासमई
सुषमा बिखेरती नई-नई
विटपों से लिपटी लतिकाएँ
आलिंगन करती लगतीं हों,
शाखें शरमाईंं लगतीं हों,
समझो द्वारे पर है बसन्त।।

जब सघन वनों के बीच हवन में
सन्तों की आहुतियों से उठ रहे धुएँ को
मन्द-मन्द मन्थर गति से ले उड़े पवन
फिर बिखरा दे तरुणाई पर
ताजगीभरी कुछ मंत्र शक्ति
शुचिताएँ छाईं लगतीं हों,
समझो द्वारे पर है बसन्त।।

जब रंग बिरंगे फूलों की
मदमाती झूमा झटकी
लख खिलखिला उठे सौन्दर्य
स्वयं हो जाए मनोहारी पी
पल हर दृष्टि सुहानी सृष्टि देख
अमराई की शाखों जैसीं
बहियाँ बौराईं लगतीं हों,
समझो द्वारे पर है बसन्त।।

तन पर मादकता भरा नशा
हर वसन लगे जब कसा-कसा
कल्पनातीत सौन्दर्यलोक की
नई सृष्टि में अलसातीं
आनन्द लुटातीं इठलातीं
सम्मोहन करतीं लगतीं हों,
गलियां गदराईं लगतीं हों,
समझो द्वारे पर है बसन्त।।

परिवर्तित वातावरण बना
पीताभ पल्लवों की लाशें
धरती पर गिरतीं झूम-झूम
रक्तिमाहरित कोपलें उमग
विटपों पर कौतूहल करतीं
कुछ मस्तातीं कुछ सुस्तातीं
उल्लास जगातीं बलखातीं
सकुचातीं आईँ लगतीं हों,
समझो द्वारे पर है बसन्त।।

गुनगुनी धूप शीतल समीर
मन मुदित किन्तु आधा अधीर
निर्मल चरित्र में कुछ विचित्र
लावण्यमयी मिष्ठास प्रबल
होती हो हलचल पर हलचल
आकर्षण और विकर्षण की
बेलाएं सजतीं लगतीं हों,
समझो द्वारे पर है बसन्त।।

परिचय :- गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *