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श्रद्धा सुमन

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू
बालोद (छत्तीसगढ़)
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महान विभूति की भारत भूईयां से विदा हो गई।
सद्कर्म कर लता जी पंचतत्व में विलीन हो गई।।

सुरों की खान थी, फिल्मी जगत में पहचान थी।
सुरों की ताज़ थी, सुमधुर सुरीली आवाज़ थी।।
लता मंगेशकर देश की मशहूर गायिका हो गई…

दुनिया का एक अनमोल सितारा, वह प्राणों से प्यारा है।
पार्श्वगायिका का देख नज़ारा, मेहनत से गीत संवारा है।।
भारतीयों की जिंदगी का वह एक संगीत हो गई…

स्वर कोकिला उपाधि मिली, स्वर साम्राज्ञी कहलाई।
नाइटिंगल ऑफ इंडिया ना जाने और कई उपाधियां पाई।।
भारत रत्न से विभूषित वह लोकप्रिय हो गई..

९२ वर्ष तक आभा बिखेरीं, गीत-संगीत ही दुनिया रही।
फिल्मों को दी नई परिभाषा, सम्मान उन्हें मिलती रही।।
श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं, दुनिया को अलविदा कह गई…

परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू
निवासी : भानपुरी, वि.खं. – गुरूर, पोस्ट- धनेली, जिला- बालोद छत्तीसगढ़
कार्यक्षेत्र : शिक्षक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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