Saturday, November 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

नई सदी का बसंत

मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
********************

नई सदी के प्रथम बसंत
कैसे करूं स्वागत तेरा
पहले जब तुम आते थे
स्वागत अमीर शाखाएं झुकती
वंदना सजाते आमृ पणृ
पलाश अगन लगाते थे
कुंद, कदंब कचनार लजाते
चंपा चमेली जहु़ ओर महकते
वृक्षवल्ररी यौवन पर होती थी
तो पाषाणो में पुष्प थे खिलते।
पर वर्तमान में आमृ कुंज में
कम बौराऐ आमृ वृक्ष है।
नहीं कोयल की कुक कहीं
चकवा, चातक, चकोर
चोंच भी नहीं मारते पत्तों पर
शायद उन्हें विश्वास नहीं
वृक्षवल्ल्ररी तनों पर
तज, तज कर निड अपने
नील गगन में उड़ते हैं
सोच यही गगन तले
प्राण वायु मिल जावे कहीं।।
तुम आए हों हे बसंत
स्वागत तुम्हारा करती हूं।
पुनः परंपराएं दोहराओ
यह इच्छा रखती हूं,
अमराई में बौराऐ आमृ वृक्ष
और कूकेँ कोयल की कूक
केसरिया पीला बाना पहने
अमल ताश सरसो फूल
चटक, चटक चटके सब कलियां
कुंद चांदनी की डाली
मोगरा, गुलाब, जूही
गंधबिखरे नय्रा री।
गंध, सुगंध दिग्दिगंत में
पसरे डाल पात पर हो हरियाली।
नाचे पाखी और चिरैया
हो करके मतवाली
मैं तो चाहूं पुनः झुके वृक्ष,
वृक्ष की डाली डाली
पत्ते-पत्ते बीच पुष्प खिले
जैसे राहचले मतवाली
अलसाई बरखा भी देखें,
देखें शीत ठिठुराई।
बसंत रितु का स्वागत करने
मधु मालती छाई।

परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *