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मुझको दुनिया में आने दो

डॉ. जबरा राम कंडारा
रानीवाड़ा, जालोर (राजस्थान)

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मुझको दुनिया में आने दो।
बेटी का हक बस पाने दो।।

सज-धज के शाला जाने दो।
पढ़-लिख के आगे आने दो।।

अपनी प्रतिभा बढवाने दो।
ऊंचा पद मुझको पाने दो।।

पैरों पे होय खड़ी जाने दो।
कमाऊंगी कुछ कमाने दो।।

जग में मुझको चर्चाने दो।
रुतबा अरु रौब जमाने दो।।

स्वतंत्र बनूं उड़ जाने दो।
चिड़िया सा गाना गाने दो।।

खुशियों के संग छाने दो।
पर्व-उत्सव भी मनाने दो।।

सबके मन को बहलाने दो।
दादी को लाड़ लड़ाने दो।।

सबका मुझे प्यार पाने दो।
अपनी भी बात बताने दो।।

मुझे दांव-पेश लड़ाने दो।
अपना हुनर दिखलाने दो।।

मयूरी सा नृत्य दिखाने दो।
कोयल सा राग सुनाने दो।।

मुझको भी स्वप्न सजाने दो।
हंसने और मुस्कुराने दो।।

परिचय :- डॉ. जबरा राम कंडारा
पिता : सवा राम कंडारा
माता : मीरा देवी
जन्मतिथि : ०७-०२-१९७०
निवासी : रानीवाड़ा, जिला-जालोर, (राजस्थान)
शिक्षा : एम.ए. बीएड
सम्प्रति : वरिष्ठ अध्यापक कवि, लेखक, समीक्षक।
रचना की भाषा : हिंदी, राजस्थानी
विधा : कविता, कहानी, व्यंग्य, लघु कथा, बाल कविता, बाल कथा, लेख।
प्रकाशित : माणक, जागती जोत, शिविरा, सुलगते शब्द (संकलन में) व मासिक पत्रिका, तथा अन्य पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलन में रचनाएं प्रकाशित।
सम्मान : भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा डॉ-आंबेडकर फेलोशिप सम्मान- २०००
राष्ट्रीय समाज सेवा रत्न सम्मान-२०२१
राष्ट्रीय गौरव टॉप ३० आइकॉन अवार्ड २०२० – २०२१
भारत भूषण सम्मान २०२१
बेस्ट अचीवर्स अवार्ड – २०२१
राजस्थान काव्य श्री सम्मान – २०२१
दक्षिणी-पच्छिमी अमेरिकन यूनिवर्सिटी द्वारा पीएचडी (मानद डॉक्टरेट उपाधि) डिग्री अवार्ड।
गांधी सेवा रत्न अवार्ड २०२१
शौर्य भारत सम्मान २०२१
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।)


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