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निश्चिंतता

निश्चिंतता

रचयिता :  कुमुद के.सी.दुबे

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मनन शादी के बाद पहली बार पत्नी माला को लेकर लखनऊ से भोपाल आ रहा था। उसने पहले से किराये का घर लेकर गृहस्थी की आवश्यक सामग्री जुटा रखी थी। मकान के ऊपरी तल पर मकान मालिक सिंह दम्पती रहते थे। उनकी एक ही बेटी थी जो शादी के बाद दिल्ली में सेटल थी।
मनन ने माला को शादी के पहले बता रखा था कि पापा के बिजनेस के कारण माँ और पापा भोपाल में हमारे साथ नहीं रह पायेंगे। मेरा ऑफिस रहेगा, तुम्हें दिनभर घर में अकेले ही रहना होगा। माला समझदार थी, उसने सहजता से आने वाली परिस्थिति को स्वीकार कर लिया था।
फ्लाईट में बैठे मनन सोच रहा था कि संयुक्त परिवार में पली-बडी माला, दिनभर अकेले कैसे रहेगी ?
वह सोच में डूबा हुआ था कि फ्लाईट भोपाल पहुँच गई।
मनन ने एरोड्रम से बाहर आकर ओला बुक करने मोबाईल निकाला ही था कि दोस्त समीर ने गुलाब के फूलों से सजी कार सामने लाकर खड़ी कर दी। जैसे ही घर पहुंचे सिंह अंकल-आंटी आरती का थाल लिये अडोस-पडोस के कुछ लोगों के साथ इन्तजार कर रहे थे।
बकायदा ढोल बजाये गये, जयमाला कराई गई, सभी ने नये जोडे़ का स्वागत हार-फूल से किया। देहलीज पर रंगोली और दरवाजे पर बंदनवार की सजावट थी। पूरा घर फूलों से सजाया गया था। सिंह आंटी ने मनन और माला को दहलीज के भीतर कदम रखते ही गले लगा लिया, नव विवाहित जोडे़ को ढेर सारा आशीर्वाद दिया। उनकी आंखो में छलके आंसू खुशी का इजहार कर रहे थे। विवाहित जोडे़ के साथ दोस्तों, पडोसियों को भी मिठाई खिलाई गई। पूरे घर में जश्न-सा माहौल था। जैसे उनके ही घर मे नई बहू का पहला कदम पड़ा हो।
मनन इस अहसास को लेकर निश्चिन्त-सा हो गया था कि उसे अनजान शहर में कोई अपना-सा, एक परिवार मिल गया है।

लेखिका परिचय :-  कुमुद के.सी.दुबे
जन्म- ९ अगस्त १९५८ – जबलपुर
शिक्षा- स्नातक
सम्प्रति एवं परिचय- वाणिज्यिककर विभाग से ३१ अगस्त २०१८ को स्वैच्छिक सेवानिवृत। विभिन्न सामाजिक पत्र पत्रिकाओं में लेख, कविता एवं लघुकथा का प्रकाशन। कहानी लेखन मे भी रुची।
इन्दौर से प्रकाशित श्री श्रीगौड नवचेतना संवाद पत्रिका में पाकशास्त्र (रेसिपी) के स्थायी कालम की लेखिका।
विदेश प्रवास- अमेरिका, इंग्लैण्ड एवं फ्रांस (सन् २०१० से अभी तक)।

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