
वाणी ताकवणे
पुणे (महाराष्ट्र)
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ना है उनको वस्त्र का भान
ना है कोई भी अभिमानलहू से अपने सिचतें खेती
अनाज उगाने में लगा दी जानभारत माँ के है कृषि पुत्र
अन्नदाता यह हमारे भगवानना है लालसा कभी पैसों की
खुशियाँ देना है इनका दानहर मौसम में कष्ट उठायें
निस्वार्थ है हमारे ये किसानआशीर्वाद है अन्नपूर्णा का इनपर
पालनहारे यह हमारी है शान
निवासी : पुणे (महाराष्ट्र)
वर्तमान में : शिक्षिका, कवि, गीतकार और लेखिका
साहित्यिक योगदान : “बंधन”, ‘श ‘से शायरी, “क्वीन ऑफ होम”, “Treasure and Rainbow”, “दिल ढुंढता है”, “ऊन दिनों की बात” नामक किताबों में सह लेखिका
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