शाश्वत सत्य
रचयिता : महिमा शुक्ल
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जो सम्पूर्ण विश्व का परमात्मा है,
वहीं हम-तुम में समाया है।
जो जल में हैं, जो थल में है,
अम्बर में भी है, और सागर में है।
हर काया में हर कण कण में,
हर जीव में, हरेक जन्तु में।
हर उस पेड़ में, हर उस लता में
जो प्रकृति की एक सुन्दर रचना में।
सूरज, चाँद और सितारो में
वो रोशनी है उस जीवात्मा की
जो कभी जलता नही कटता नही
वही अमर और अजर आत्मा है।
प्रकृति का हर रूप सत्य है।
शिव सा मृत्युंजय और सुंदर भी है।
लेखिका परिचय :- महिमा शुक्ल हिंदी साहित्य के परिवार से पूर्व प्राध्यापक (लोक प्रशासन एवं पत्रकारिता) सामाजिक कार्यों और संस्थाओं से सम्बंधित लिखने पढ़ने की अभिरुचि
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