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आदमी को आदमी की अब जरुरत नही है

लाल चन्द जैदिया “जैदि”
बीकानेर (राजस्थान)

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आदमी को आदमी की, अब जरुरत नही है,
मिलने की जरा सी किसी को फुरसत नही है।

कितनी सीमित सी हो गई है, दुनिया हमारी,
सोचे हम जितना उतनी तो खूबसूरत नही है।

काम से काम,दिखावा, बस यही सब शेष है,
बेजान रिश्तो मे चाह की अब हसरत नही है।

पास से गुजर के भी लोग नज़र नही मिलाते,
मौकापरस्त लोगो की अच्छी शरारत नही है।

बदलना तो हमको ही होगा मुहब्बत के लिऐ,
बदलना चाहे अगर तो बड़ी ये कसरत नही है।

कोई लाख हम से अदावत रखे “जैदि” मगर,
हम चोट पंहुचाऐ ऐसी हमारी फितरत नही है।

शब्दार्थ :-
हसरत :- इच्छा
मौकापरस्त :- मतलबी
शरारत :- धृष्टता, पाजीपन
अदावत :- दुश्मनी
फितरत :- स्वभाव

परिचय –  लाल चन्द जैदिया “जैदि”
उपनाम : “जैदि”
मूल निवासी : बीकानेर (राजस्थान)
जन्म तिथि : २०-११-१९६९
जन्म स्थान : नागौर (राजस्थान)
शिक्षा : एम.ए. (राजनीतिक विज्ञान)
कार्य : राजकीय सेवा,
पद : वरिष्ठ तकनीक सहायक, सरदार पटेल मेडिकल कोलेज, बीकानेर।
रुचि : लेखन, आकाशवाणी वार्ताकार,
सम्मान : बहुत सी संस्थाओं से प्रशस्तिपत्र, एंव सम्मान।
निर्मित रचनाऐ : एक सौ बीस के ऊपर प्रकाशित और अप्रकाशित बेहतरीन, प्रेरक मौलिक ग़ज़ले जो देश के जाने माने समाचार-पत्रो और सोशल मंच पर प्रकाशित है।
प्रारंभिक सृजन काल : १९८६-८७
)
घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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