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दया भावना

मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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कड़ाके की ठंड में लोग घरों में दुबके बैठे थे गली मोहल्ले में इक्का-दुक्का लोग ही दिखाई दे रहे थे। एकाएक सड़क पर भजन गाने की आवाज सुन मेरे नव वर्ष के पोते ने खिड़की से झांक कर देखा उसे भजन गाने वाला एक भिकारी दिखाई दिया जिसके तन पर केवल एक फटा कंबल और कंधे पर एक झोला लटका दिख रहा था।
वह दुनिया से बेखबर अपने में मस्त भजन गाता चला जा रहा था ना किसी से आशा ना ही मन में कोई इच्छा थी। हम सब अपने सुबह के कामों में व्यस्त थे पोते ने उसे अपने घर के आंगन में बुलाया और बिठा कर दो क्या हुआ दादी के पास आकर बोला दादी दादी बाहर एक भिखारी बैठा है क्या मैं उसे अपना छोटा कंबल ओढ़ने के लिए दे दूं।
उसके पास फटा कंबल है थारी बोली तुम्हारा कमल बहुत छोटा है तो मेरा बड़ा कंबल उसे दे दो पोता ध्रुव मां से बोला मां उसे कुछ खाने को दोगी क्या…।
बेचारा भूखा होगा मां बोली हां बेटा मैं देती हूं।
इतने में दादी और ध्रुवके पिता ने खिड़की से झांक कर देखा फटे कपड़ों में जर्जर तन को ढकने का प्रयत्न करता वह भिखारी द्वार की ओर टकटकी लगाए देख रहा था। मां बेटे की नजरें आपस में मिली आंखों ने मन की भावना समझी और ध्रुव के पिता ने जल्दी से अपनी अलमारी में से २ जोड़ी कपड़े निकाल कर ध्रुव के हाथ में देते हुए कहा जाओ उन दादा जी को दे आओ ध्रुव की मां भोजन लेकर आ गई दादी आंगन में जा बैठी वह उसे भरपेट भोजन करवाया और कपड़े पहन ने के लिए दिए और कंबल ओढ़ने के लिये दिया।
भिकारी ने कुछ कहा नहींं पर उसने दिल से ध्रुव को दुआ दी होगी उसके चेहरे पर के संतुष्टि के भाव बता रहे थे। आज ध्रुव का पूरा परिवार आत्मिक संतुष्टि का अनुभव कर रहा था की नौव वर्ष के बालक में कितनी दया भावना है जो उसे किसी भी अनिष्ट से बचा सकती है इसी प्रकार सभी की दुआएं उसे मिलती रहे हमेशा हमेशा के लिए वह सबकी मदद करता रहे। दादी ने पोते को पास बुलाया और उसे चूम लिया और खूब आशीर्वाद दिया।

परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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