Saturday, November 16राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

तुम्हारी जुदाई में

कु. आरती सिरसाट
बुरहानपुर (मध्यप्रदेश)

********************

तुम्हारी जुदाई में
आंखों से आंसू ही नहीं बहे।।
एक वक्त बाद।

आंसुओ के साथ बहे
तुम्हारी यादें….
तुम्हारी बातें….
वो मुलाकातें….
वो जगाती रातें….
और बह गई वो सब उदासियां।
बह गई वो सब बैचेनीयां।।
बह गई वो सब परेशानियां।।
बह गई वो सब दुरियां।।

और बहते- बहते ठहर गएं वो
आंसू मेरी कलम में आकर….
उतरने लगीं वो सारी बातें
कागज़ पे समाकर….
और फिर मैं तुम्हें
याद करने लगी….
तुमसे बात करने लगी….
अकेले में मुलाकात करने लगी….
सोकर फिर तुममें जागने लगी….

मुझे अच्छी लगने लगी उदासियां….
सखी बन गई बैचेनीयां….
समझाने लगी परेशानियां….
पास रहने लगी दुरियां….
फिर मैं प्रेम के उस द्वौर में
चली गई जहां प्रेम ने मुझे प्रेम समझायां था।

और मैं समझ गई कि प्रेम को कभी
समझा ही नहीं जा सकता है….!
प्रेम को बस प्रेम से जिया जा सकता है
महसूस किया जा सकता है….!!

परिचय :- कु. आरती सुधाकर सिरसाट
निवासी : ग्राम गुलई, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *