Sunday, September 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

मेरा राम मेरे साथ है

मेरा राम मेरे साथ है

रचयिता : डॉ सुरेखा भारती

शाम हो गई थी राधिका ने अपने को, थोड़ा संवारा और वह तुलसी क्यारी में दीपक लगाकर अपने पूजा घर में रामायण पढ़ने बैठ गई। यह उसका रोज का नियम जो था। अंकुर की शादी हुए दो महिने बीत गए थे। अंकुर की पसंद-नापंसद, उसके लिए क्या बनाना है, क्या नहीं, पहले उसकी चिंता रहती थी, पर यह सब तो अब बहु ही देखने लगी थी। बहु तो अच्छी है पर राधिका और अधिक अकेला पन महसूस करने लगी थी।
अंकुर भी अब आते से ही पूछने लगा है, सीमा ऽ सीमा तुम कहां हो …….?, लगता था अब माँ को वह भूल गया है।
पहले जरूर उसके इस बदलाव से मन में अजीब सी चुभन होती थी। पर अब अपना मन भगवान के स्मरण में लगाना सीख लिया था। रामायण पढ़ते हुए, वह श्री रामचरित्र में खो गई थी, की सहसा फूलों की सुगंध वातावरण में घूमने लगी, उसने सोचा अंकुर बहु के लिए फूल ले कर आया होगा, आज उसका जन्मदिन जो है। पर अचानक उसकी नजर पास रखी छोटीसी प्लेट पर गई। प्लेट फूलों से भरी थी, अंकुर दोनों हाथों की घड़ी कर उसकी और देखकर बोला यह तुम्हारे रामजी के लिए हैं माँ।
सुबह फूल वाला नहीं आया था, मेरे रामजी बिना फूलों के रह गए थे। उसने अंकुर की तरफ देख सिर्फ मुस्कुरा दिया और फिरसे रामायण पढ़ने लग गई, पर अब मन में भाव था ‘मेरा राम मेरे घर में है, मेरे साथ।

परिचय :- नाम :- डॉ सुरेखा भारती
कवियत्री, लेखिका एवं योग, ध्यान प्रशिक्षक इंदौर 

आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर कॉल करके सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि पढ़ें अपने मोबाइल पर या गूगल पर www.hindirakshak.com सर्च करें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा (SHARE) जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com  कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने मोबाइल पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक के ब्राडकॉस्टिंग सेवा से जुड़ने के लिए अपने मोबाइल पर पहले हमारा नम्बर ९८२७३ ६०३६० सेव के लें फिर उस पर अपना नाम और प्लीज़ ऐड मी लिखकर हमें सेंड करें…

विशेष सूचना-लेख सहित विविध विषयों पर प्रदर्शित रचनाओं में व्यक्त किए गए विचार अथवा भावनाएँ लेखक की मूल भावना है..http://hindirakshak.com पोर्टल 
या हिंदी रक्षक मंच ऐसी किसी भी कृति पर होने वाले किसी विवाद और नकल (प्रतिलिपि अधिकार) के लिए भी बिल्कुल जिम्मेदार नहीं होगा,इसका दायित्व उक्त रचना
सम्बंधित लेखक का रहेगा। पुनः स्पष्ट किया जा रहा है कि, व्यक्त राय-विचार सम्बंधित रचनाकार के हैं, उनसे सम्पादक मंडल का सहमत होना आवश्यक नहीं है। 
धन्यवाद। संस्थापक-सम्पादक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *