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रुख़सारो से लाली

आरिफ़ असास
दिल्ली
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आंसू तेरे अब्सारो से गिरने नही देंगे
दर्द दिल को तेरे किसी को देने नही देंगे

शिक़वा कोई हो तो शिक़ायत करना
रुख़्सारों से लाली तेरे जाने नही देंगे

हर लफ्ज़ कहता है कहानी मेरे दिल की
दिल की दुनिया मे किसी को आने नही देंगे

मर्ज़े मोहब्ब्त की दवा है तेरे पास
जख्म दिल के किसी को दिखने नही देंगे

यादें तेरी छुपाके रखी है हम ने सीने में
क़तरा क़तरा यादों को बहने नही देंगे

रातो को जागकर मांगा है तुझे रब से
ज़ुदा तुझे जिंदगी से अब होने नही देंगे !!

परिचय :आरिफ़ असास नर्सिंग अफसर
निवासी : दिल्ली
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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