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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

रामसाय श्रीवास “राम”
किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़)

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बेटी को मत मार कोख में,
जब यह घर में आती है।
यह अपने संग मात पिता के,
घर में खुशियाँ लाती है।।

ईश्वर की वरदान है बेटी,
उसकी नेमत है प्यारी।
कुदरत की अनमोल कृति यह,
सबसे है सुंदर न्यारी।।

इसकी भोली सूरत सबके,
मन को कितना भाती है
यह अपने संग मात पिता के
घर में खुशियाँ लाती है

मात पिता की आँखो की बस,
होती यही दुलारी है।
घर आँगन में फिरती बनके,
जैसे राजकुमारी है।।

कुछ भी हो पर मात पिता को,
यह ना कभी सताती है
यह अपने संग मात पिता के
घर में खुशियाँ लाती है

शिक्षा का अधिकार इन्हें भी,
अब तो पूरा देना है।
इनको भी आगे बढ़ने की,
अब तो मौका देना है।।

नहीं किसी से पीछे रहना,
अब इनको कब भाती है
यह अपने संग मात पिता के
घर में खुशियाँ लाती है

सीमा पर बेटी रहकर अब,
करती सबकी रखवाली।
पर्वत की चोटी पर इनने,
अपनी कदम बढ़ा डाली।।

ओलंपिक खेलों में अपनी,
यह पहचान बनाती है
यह अपने संग मात पिता के
घर में खुशियाँ लाती है

ये भी हैं सम्मान के काबिल,
इनको मान दिलाना है ।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ,
यह अभियान चलाना है।।

बेटी भगिनी जननी पत्नी,
रूप अनेकों पाती है
यह अपने संग मात पिता के
घर में खुशियाँ लाती है

परिचय :- रामसाय श्रीवास “राम”
निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़)
रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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