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माँ

विजय वर्धन
भागलपुर (बिहार)

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माँ तुम केवल शब्द नहीं हो
तुम ममता की छाया हो
ऐसा कोई शक्श नहीं जो
तेरे सम्मुख आया हो
माँ तुम केवल शब्द नहीं हो
तुम करुणा की सागर हो
तेरा रोम_ रोम यूँ लगता
जैसे दया का गागर हो
माँ तुम केवल शब्द नहीं हो
तेरी कृपा है अपरंपार
कोई कैसे पा सकता है
तेरी महिमा का विस्तार
माँ तुम केवल शब्द नहीँ हो
तेरा साहस इतना दृढ
चाहे कस्ट का तूफा आये
तुम रहती हो सदा सुदृढ़
माँ तुम केवल शब्द नहीं हो
यह जग है तेरा परिणाम
तेरे चरणों में झुक कर
हम बालक करते सदा प्रणाम

परिचय :-  विजय वर्धन
पिता जी : स्व. हरिनंदन प्रसाद
माता जी : स्व. सरोजिनी देवी
निवासी : लहेरी टोला भागलपुर (बिहार)
शिक्षा : एम.एससी.बी.एड.
सम्प्रति : एस. बी. आई. से अवकाश प्राप्त
प्रकाशन : मेरा भारत कहाँ खो गया (कविता संग्रह), विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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