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पोती आई

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया
भोपाल (मध्यप्रदेश)

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छब्बीस नवंबर दो हजार।
इक्कीस को पोती आई।
कितनी प्यारी पोती आई।
सबसे न्यारी पोती आई।

मेरी पोती मेरे परिवार में आई।
संग में ढेरों खुशियां लाई।
हम सबके उर उमंग छाई।
हमने प्रभु से अनमोल भेंट पाई।

परिवार में दीप बन आई।
परिवार में प्रकाश फैलाने आई।
हमारे अंतस मधुर गीत गुनगुनाई
परिवार में तारे सी टिमटिमाई।

हमने तो पोती पा जन्नत पाई।
परिवार को परी सी भाई।
मैया उसकी हरषाई।
मैया ने बेटी जाई।

मैया गोद संतान सुख समाई।
बेटे-बहू तपस्या सफल वर पाई।
हमने दादा-दादी पदवी पाई।
मात-पित नाना-नानी पद पाई।

कोऊ मौसी,कोऊ भुआ-फूफा
बन लज्जाई, शरमाई।
मोहे आज परिवार लगे स्वर्ग सम,
मेरे अंगना लक्ष्मी आई।

पायल झंकार सुनाने।
मेरा अंगना तेरे अधरों की
मुस्कान से सुमन सा खिला।
सुंदर उपवन सा बना।

परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया
निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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