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नवरात्रि आई रे

शैलेष कुमार कुचया
कटनी (मध्य प्रदेश)
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दरबार सजा है माता का
सिंह पर सवार होके
आई माता रानी
भीड़ लगी है मंदिर में
माता की पूजा करलो
माता विनती सबकी सुन लो
नवरात्रि आई रे
नवरात्रि आई
जगह जगह माता है विराजे
माँ के दर्शन कर लो
नर नारी सब भोग लगावे
हलुआ पूरी माता को खिलावे
नवरात्रि आई रे
नवरात्रि आई
माता प्यारी प्यारी
दुःखो को हरने वाली
माता का जो व्रत रखता है
माता के प्रतिदिन दर्शन करता है।
उसकी झोली कभी ना होती खाली
नवरात्रि आई रे
नवरात्रि आई
माता सबकी पूरी मुरादे कर दो
सुखी सारे संसार कर दो
जगह जगह भंडारे होवे
कन्या भोज लोग करावे
नवरात्रि आई रे
नवरात्रि आई

परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया
मूलनिवासी : कटनी (म,प्र)
वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना)
प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर्पण ई पेपर ग्वालियर से प्रकाशित हो चुकी है।
पद : टी, ए विधुत विभाग अम्बाह में पदस्थ
शिक्षा : स्नातक
भाषा : हिंदी, बुंदेली
विशेष : स्वरचित रचना, विचारो हेतु विभाग उत्तरदायी नही है, इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है।
घोषणा : में यह प्रमाणित करता हूं, कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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