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स्याही

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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रंग है तेरा स्याह,
पर अद्भुत है तेरी सुंदरता
खुद को खुद से सजाती हुई
कभी हंसती, कभी रुलाती
कभी गुदगुदाती भी है।।

हर पल हर काल की
साक्षी बनी है तू
वर्णित किया है
दुनिया का इतिहास,
दिया वेद पुराण,
महाग्रंथो का ज्ञान।।

राम रहीम गुरुनानक ईसा,
हर रूप का परिचय
कराती कालांतर से तुम।।

वीरों की गाथा,
रचनाकार की रचना को
जीवित किया है,
पन्नों पर तुमने।।

लोरियां कहानियां,
गीत-गजल, को
सुंदरता से उकेरती सी,
जीवन के नौ रूप नौ रंगों को
कारीगरी से उभरती हो तुम।।

हर पोथी हर
ग्रंथ को दिया है
अकल्पनीय रूप तुमने।।

ना हो सके अनुभूति
जिन भावनाओं की,
उनसे भी साक्षात्कार
करती हो तुम।।

ना मिटा सके कोई
अस्तित्व तेरा,
“इतना सुंदर
अविष्कार हो तुम”!!

परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
पति : श्री राकेश कुमार चतुर्वेदी
जन्म : २७ जुलाई १९६५ वाराणसी
शिक्षा : एम. ए., एम.फिल – समाजशास्त्र, पी.जी.डिप्लोमा (मानवाधिकार)
निवासी : लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
विशेष : साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने के शौक ने लेखन की प्रेरणा दी और विगत ६-७ वर्षों से अपनी रचनाधर्मिता में संलग्न हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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