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लक्ष्य पाने के सूत्र

संजय जैन
मुंबई (महाराष्ट्र)
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अगर पैरो में हो चोट
साथ में हो छोटी सोच।
तो इंसान जिंदगी में
आगे नहीं बढ़ सकेगा।
इसलिए दोनों का इलाज
इंसान के लिए जरूरी है।
ये डाक्टर के इलाज से और
खुदके आत्ममंथन ठीक होगा।।

काम से पहीचान होती है इंसान की
इसलिए कर्म करना जरूरी है।
महंगे कपड़े तो दूकान के
पुतले भी पहनाकर रखते है।
इसलिए अपने जीवन को
शो की चीज न बनाये।
और खुदके कार्यो से अपनी
एक पहचान बनाये।।

कमाया गया परिग्रह को कुछ
दानधर्म और परोपकार में लगाए।
तो आपके परिणामों को
स्वंय ही शांति मिल जायेगी।

और स्वंय के स्वाध्याय से
आपको आत्मबोध होगा।
आत्मबोध से समाधि मिलेगी।
इसलिए नियमित स्वाध्याय करे।
और मोक्ष मार्ग को प्राप्त करे।।

जो कार्य तपस्या से भी
जिंदगी में नहीं हो सकता।
वह भावना से हो जाता है।
इसलिए भावों को शुध्द बनाये।
और अच्छी भावनाएं
आत्मा के अंदर भाये।।

अपनी उन्नति में इतना
समय लगाओ कि ।
दूसरों की निंदा करने अथवा
सुनने का समय ही न मिले।
बस जीवन के लक्ष्य पर
अपना ध्यान केंद्रित करो।
सफलता आपके खुद ही
एक दिन कदम चूमेंगी।।

समय की तुम कद्र करो
समय तुम्हारी कद्र करेगा।
जो समय चक्र को समझेगा
वही यह चक्रव्यूह को तोड़ेगा।
और अपने जीवन की
ऊँचाइयों को छू जायेगा।
तभी तुम देश का नाम
रोशन का कर पाओगें।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ-साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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