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भाषा

डॉ. बी.के. दीक्षित
इंदौर (म.प्र.)
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सरल सहज अभिव्यक्ति, दिल को सदा लुभाती।
बहुत कठिन शब्दोंकी, भाषा नहीं मन को भाती।

साहित्य जगत की, हमको समझ न आती भाषा।
माँ हिंदी दुनिया में छाए, जन-जन की है ये आशा।

भूषण** दिनकर, महादेवी, अज्ञेय, पंत या निराला।
मानस की चौपाई दोहे, हरि बच्चन की मधुशाला।

चक्रधर की अद्भुत शैली, नीरज जी की थी हस्ती।
गुरु सत्तन की कविताएं, कुमार विश्वास की मस्ती।

है सम्रद्धि हमारी भाषा** नित नूतन भाव जगाती।
वो बहुत अभागे होते, जो कहते हिंदी नहीं आती।

बिजू यदि ज्ञान नहीं हो, व्याकरण निष्ठ भाषा का।
ह्रदय खोल कर रखिये, प्यार प्रीति परिभाषा का।

परिचय :- डॉ. बी.के. दीक्षित (बिजू) आपका मूल निवास फ़र्रुख़ाबाद उ.प्र. है आपकी शिक्षा कानपुर में ग्रहण की व् आप गत ३६ वर्ष से इंदौर में निवास कर रहे हैं आप मंचीय कवि, लेखक, अधिमान्य पत्रकार और संभावना क्लब के अध्यक्ष हैं, महाप्रबंधक मार्केटिंग सोमैया ग्रुप एवं अवध समाज साहित्यक संगठन के उपाध्यक्ष भी हैं।
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak।com) द्वारा हिंदी रक्षक २०२० सम्मान


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