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मेरा प्यारा घर

रुचिता नीमा
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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एक प्यारा सा है घर मेरा,
जहाँ है मेरे अपनों का बसेरा।।

यहाँ महकते हैं रिश्ते,
धड़कता है दिल मेरा,
खिड़की पर है चिड़ियों की गुंजन,
आँगन में तुलसी की छाया।।

सर्दी, गर्मी, बारिश, हर
मौसम की मार से, यही है बचाता,
त्योहारों की गरिमा को भी,
हर बार यह बखूबी निभाता।।

कभी लहराता तिरंगा ऊपर,
कभी दीवाली के दीपों से जगमगाता,
कभी गूंजता शंखनाद,
तो बच्चों की हँसी से खिलखिलाता।।

मिलता है जो सुक़ून घर पर,
उसे न कोई कहीं ओर है पाता,
ईंट, पत्थरों, सीमेंट का मकान नहीं,
यह हमारा प्यारा घर है कहलाता।।

परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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