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हिन्दी है अनमोल

गीता देवी
औरैया (उत्तर प्रदेश)
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(तर्ज- सावन का महीना पवन करे सोर)

हिंदी भाषा अपनी है सबसे अनमोल,
अन्य भाषा का इसके आगे चले न कोई जोर।

जन्मी है हिंदी भाषा कहां से रे भैया,
संस्कृत मानी जाए इनकी रे मैया।
संस्कृत से मिले हैं गुण सारे अति घोर,
अन्य भाषा इसके आगे चले न कोई जोर।।
हिंदी भाषा ….
अन्य भाषा….

रस छंदों का यहाँ पुंज है सारा,
संज्ञा विशेषण और हैं अलंकारा।
हिंदी का महत्व फहलाऊँ चहुँओर,
पर भाषा का इसके साथ, नहीं है कोई जोड़।।
हिंदी भाषा….
पर भाषा का….

हिंदी हमारी अब बने राष्ट्रभाषा,
सपना यही मन में देश सजाता।
मान मिले हिंदी को करें सभी अब गौर,
अन्य भाषा इसके आगे, चल न पाए जोर।।

हिंदी भाषा अपनी है सबकी सिरमौर,
अन्य भाषा का इसके आगे चले न कोई जोर।।

परिचय :- गीता देवी
पिता : श्री धीरज सिंह
निवासी : याकूबपुर औरैया (उत्तर प्रदेश)
रुचि : कविता लेखन, चित्रकला करना
शैक्षणिक योग्यता : एम.ए. संस्कृत बीटीसी,
सम्प्रति : बेसिक शिक्षा परिषद में कार्यरत, प्राथमिक विद्यालय मल्हौसी बिधूना, औरैयादिल्ली
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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