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हरसिंगार

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)
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हरसिंगार की खुश्बू
रातों को महकाती
निगाहे ढूंढती फूलों को
जो रात भर खुश्बू
बाटते रहे बन दानकर्ता
गिरे फूल बिछ जाते
कालीन की तरह
छाले ना पड़ जाए
मेरे चाहने वालों के पावों में
मौसम के संग
कुछ समय रहेंगे
दिन में हो जाएंगे
बेघर
मासूम हरसिंगार
खुश्बू का उपहार देते
रातों को
मोहब्बत करने वालों के लिए
जिन्हें है सिर्फ मोहब्बत
खुश्बूओं से
अनजान भोरे भी सो गए
दिन के उजालो में वे
खुश्बुओं का पता पूछ रहे
डाली -डाली पत्तों से
बेचारे भ्रम में पड़े,भ्रमर
सोचते
हरसिंगार की खुश्बू
क्या
रातों से ही प्यार करती।

परिचय :- संजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली,
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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