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जब उनसे बात हुई

डॉ. सर्वेश व्यास
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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कल जब उनसे बात हुई,
ऐसा लगा मानो
जिंदगी से मुलाकात हुई,
तपते रेगिस्तान में बरसात हुई l

उनसे बात करने की
खुशियां मेरे द्वार थी,
मेरे जीवन के पतझड़ में
प्रकृति की बहार थी l

ईश्वर करे यह बहार,
यह खुशियां सदा
मुझसे मिलती रहे,
उनकी मधुर, सुरीली वाणी
मेरे कानों में जीवन
अमृत घोलती रहे l

मेरा खुदा जानता है
मुझे उनके तन की नहीं,
पवित्र मन के चाह है,
यह जानते हुए भी
वह अनजान है,
मेरे जीवन में इसी
बात की आह है ल

अब तो बस वह
मेरे भावों को पढ़ ले,
मेरे पवित्र मन को
स्वीकार कर ले l
अब तो ईश्वर कुछ
ऐसे संयोग बनाए,
मेरी जिंदगी, मेरी
खुशियों से मुझे मिलाऐ l

तमन्ना है जब उनसे
मेरी मुलाकात हो,
तब जुबान से नही
मन से मन की बात हो l
डरता हूं मेरी इन बातों से
वह नाराज ना हो जाए,
उनसे आसरूपी जो खुशी है,
कही वह ना खो जाए l

इसलिए हम आज तक
उनसे कुछ ना कह पाए,
अब तो कुछ ऐसा हो
हम उन्हें पाए l
है प्रेम उन्हें भी
हम जानते है,
तभी तो वह कहते है,
हम तुम्हे बहुत मानते हैं ल

कभी वो कहते है
आप हमे पसंद हो,
हम चाहते हैं अब तो
पर्दे में बात बंद हो l
हमारी आँखो ने हमे
भ्रमित स्वप्न दिखाये है,
या सचमुच हम
किसी के मन को भाये है ल

है अगर प्रेम उन्हें भी
तो वो हमे बता दे,
या स्वप्न निंद्रा से
हमे जगा दे l
अब तो वही इस
बात को व्यर्थ कर दे,
या वही इस बात को
पूर्ण अर्थ कर दे l

परिचय :-  डॉ. सर्वेश व्यास
जन्म : ३० दिसंबर १९८०
शिक्षा : एम. कॉम. एम.फिल. पीएच.डी.
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
लेखन विधा : व्यंग्य, संस्मरण, कविता, समसामयिक लेखन
व्यवसाय : सहायक प्राध्यापक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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