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जीना सीख लो

श्वेतल नितिन बेथारिया
अमरावती (महाराष्ट्र)
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जिंदगी बहुत छोटी है उसे
हर हाल में जीना सीख लो,
आयें कितने भी आंधी तूफान
जिंदगी जीने का तरीका सीख लो।

यदि कोई पास में हो तो
उसकी आवाज में जीना सीख लो,
रूठ गया हो यदि कोई उसके
इस अंदाज में रहना सीख लो।

जो कभी लौट के ना आने वाले हैं
उसकी यादों में जीना सीख लो,
हर वक्त नहीं रहता कोई साथ
अपने आप में खुश रहना सीख लो।

खुशी की लहरें कभी गम के साए
सुख-दुख की कश्ती में तैरना सीख लो,
जिंदगी बहुत छोटी है उसे
हर हाल में जीना सीख लो।

परिचय – श्वेतल नितिन बेथारिया
निवासी – अमरावती (महाराष्ट्र)
घोषणा पत्र – मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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