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पंचतत्व मे विलीन होकर में सदगति पांऊगा

गगन खरे क्षितिज
कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश)
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सोचता हूं मैं
पंचतत्व में विलीन होकर
सदगति में पाऊंगा।
दुःखी न होना मेरे लिए
सन्तावना अपने पराये
सभी से मेरी यही हैं,
ईश्वर के प्रति आस्था लिए
प्रभु के चरणों में समर्पित होकर
नवजीवन में फिर पाऊंगा।

सृष्टि को खूबसूरत,
शांति एवं धर्य संयम
धीरज से सकारात्मक
सोच के साथ, मनमोहक
सबसे प्रिय इंसान के लिए
सृष्टिकर्ता पालनकर्ता
ईश्वर ने निस्वार्थ भाव से
बनाई है ये दुनिया
इस दुनिया के पालनार्थ में
सृष्टि पर बार-बार आऊंगा।

अच्छे बुरे कर्मों का हर बार
फल मुझे ही पाना है
गगन सांसारिक सुख दुःख
मौह माया जीवन चक्र
इस धरा पर इंसानों को
समय की गति से बांधा है,
जीवन और मृत्यु के
पालने में खुद ईश्वर ने
अपने आपको ढाला है,
पालनार्थ बार-बार में आंऊगा
पंचतत्व में विलीन होकर
सदगति में पांऊगा।

परिचय :- गगन खरे क्षितिज
निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश
उम्र : ६६वर्ष
शिक्षा : हायर सेकंडरी मध्य प्रदेश आर्ट से
सम्प्रति : नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण भोपाल मध्यप्रदेश सेवानिवृत्त २०१४
साहित्य में कदम : २०१४ से भारतीय साहित्य परिषद मंहू, मध्य प्रदेश लेखक संघ मंहू इकाई, महफ़िल ए साहित्य कोदरिया मंहू, आर्चना साहित्य संस्थान मंहू, राष्ट्रीय संखी साहित्य परिवार, छत्तीसगढ़ सखी साहित्य परिवार, म. प्र. संखी साहित्य परिवार, राष्ट्रिय हिंदी रक्षक मंच आदि समूह से समय पर जुड़े है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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