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कुछ अलग सृजन प्रयास

विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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कुछ अलग सृजन प्रयास
बिना सहारे-१२८ शब्द (काव्य-अर्थ भी नीचे वर्णित है)
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गहन दमन अटक खटक,
पहट फकत कदर पटल।

भरत अदब नयन छलक,
गज़ब सड़क महल सजल।

बहस डगर तड़प सबब,
रहन सहन ठसन खलल।

तमस गमन हवन तहत,
नज़र कसक समझ पहल।

तपन पवन अमन चलन,
सरस जतन कलश कमल।

कथन कसर कहर कलह,
महक चहक सहज सफल।

वतन वचन असर सबक,
तड़क कड़क परख अटल।

अगर मगर गरज ललक,
मनन वजह नमन सबल।

हवस चरस तरस भनक,
सनक धमक धधक गरल।

हनन दहन खनक भड़क,
अहम वहम खतम शकल।

नवल धवल चपल असर,
कलम समझ असल सरल।

अकल फसल अमल सनम,
पलक फलक लहर तरल।

अलख खबर मगज पलट,
समझ चमक दमक बदल।

धरम करम बचत ललक,
शरण तनय बहन चहल।

नसल मचल छनन सनन,
शहर शजर करम अचल।

लगन मगन सनद अलग,
दहक भभक रजत ग़ज़ल।

प्रत्येक लाइनों का क्रमवार अर्थ भी प्रस्तुत है।
१ गहरे दबाव भरे जीवन की खटपट में सूर्य उदय के साथ ही घर/परिवार/आफिस/शॉप में मात्र सम्मान/इज्जत नहीं मिल पाती।दुख होता है।
२ जैसे भरत के सम्मान /अदब में सड़कों से लेकर महल तक सभी नेत्र छलके, आंखें सजल थीं।
३ आज की दुनिया में रहन सहन ठसन बहुत अड़ंगे डालती है।और बहसबाजी का रास्ता दुखी होने का कारण बनता है।
४ अंधेरे को हटाने ,टीस मिलने के भाव को,अपनी अच्छी समझ और पहल करना भी हवन जैसा है।
५ हवा, गर्मी के थपेड़े जैसे जीवन में शांति स्थापित करना और आनंद दायक प्रयास से जीवन कलश में कमल स्थापित होता है।
६ लोगों की कटु/तीखी बोली कहर भी ढाती है,कलह की कसर भी नहीं छोड़ती,परन्तु ऐसे स्थानों में सुंदर महक भरा वातावरण सहजता से कार्य/व्यवहार सफल बनाता है।
७ हमारे देश का इरादा, वचन,गुणवत्ता का असर भी दिखता है, लोगों को सबक भी मिलता है, कि कड़े निर्णय,त्वरित निर्णय की परख अटल विश्वास से युक्त हो।
८ कार्यों में असमंजसता,और स्वार्थ की ललक रहे ,तब थोड़ा मनन चिंतन और झुक जाने से ताकत मिलती है।
९ नशे प्रेमियों को लालायित होकर तरसना अच्छा लगता है, जरा सी उपलब्धता भनक में खिंचे चले जाते हैं।ये ऐसी सनक है, जिसकी धमक,ज्वाला जहर सदृश्य है।
१० किसी को मारना, जलाना, भड़कना,अहंकार, शक की खनखनाहट से आपके चेहरे, और हाव-भाव बदल जाते हैं।
११ नए उजाले की चपलता का असर इतना ही सरल है,जितना कि लेखनी की समझ सच लिखती है, सरल लिखती, त्वरित लिखती है।
१२ प्रत्येक व्यक्ति में अक्ल की मात्रा जितनी भी हो, उसे अमल में लाना ही होता है बंधु।फिर तो श्रेष्ठता की लहर पलक से आसमान तक खुशियों की लहरों सी व्याप्त रहती है।
१३ जो खबरें देखी सुनी न हों ,वे दिमाग को चकरा देती हैं, परन्तु समझदारी की चमक और जीवंत रहने से चकराहट को भी सहज बना लेती है।
१४ जीवन में धर्म कर्म की ललक को बचाये रखना सार्थक है, क्योंकि आपकी शरण में आपका परिवार, बेटा, बेटी सभी की चहलकदमी होती रहे।
१५ आज की पीढ़ी में बदलाव अति चंचलता के साथ चहल कदमी करता है। परंतु देखिए, अपने ही शहर के पुराने दरख़्त अपने कर्मों की वजह से अचल रहते हैं।
१६ प्रत्येक व्यक्तियों में कार्यों की लगन और ध्यान रख पाने की समयसीमा भिन्न होती है।और विविध परिस्थिति के तेज प्रताप से चमकदार गज़लें/कविता/लेख/कहानी का साहित्य सुदृढ होता है।

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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