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रक्षाबंधन

महेन्द्र सिंह कटारिया ‘विजेता’
सीकर, (राजस्थान)
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राखी का त्यौहार आया,
ख़ुशियों की सौगात लाया।

पाने बहिना भाइयों से उपहार।
बेसब्री से करती जिसका इंतजार।
सजे रंगबिरंगी राखी से बाज़ार।
करते मिल उत्साह का इज़हार।
स्नेह बहिना ने अपनों का पाया।
राखी का त्यौहार …….।

श्रावण मास पूर्णिमा पर्व।
स्नेहातुर करती बहनें गर्व।
रिश्ता अटूट जो इस संसार।
रक्षासूत्र बाँध पाती सत्कार।
उत्साह भाव चहुंदिशा छाया।
राखी का त्यौहार…….।

रोली अक्षत घेवर संग
खुशियों की बहार।
रेशम की डोर से जुड़ता
अपनों का प्यार।
भाई बहिन का रिश्ता
राखी से बनता खास।
बहिना बांधती भाई के
हाथों अपना विश्वास।
निश्छल प्रेम भगिनी का
धागे में समाया।
राखी का त्यौहार…….।

हो चाहे कितनी दूर
फिर भी भूल न पाती है।
रक्षाबंधन के अवसर
बहन भाई के आती है।
स्नेह-प्रीत की डोर
दोनों की बड़ी अनमोल।
पाओं कामयाबी सद
अरदास के यही बोल।
देने उपहार बहिन को
भाई लाया
राखी का त्यौहार…….।

परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया ‘विजेता’
निवासी : सीकर, (राजस्थान)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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