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धर्म आस्था और फल

संजय जैन
मुंबई (महाराष्ट्र)
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सृष्टि के निर्माता ने उसे
बनाया ही कुछ ऐसा था।
जिसमें सभी लोगों का
समावेश होना था।
ऊपर से लाखों देवी और
देवताओं का समावेश।
और सबकी अलग अलग
सोच और विचारधारा।
कौन कैसे और कब
प्रसन्न हो जाते है।
और खुश होकर देते
अपने भक्तों को वरदान।
फिर वरदानों को पाकर
करते पृथ्वी पर अत्याचार।
और भक्तजन फिर करते
प्रभु से बचाने की गुहार।
तभी तो रामायण महाभारत और भी…
रचना पड़ा उस निर्माता को।
जिससे बची रहे आस्था धर्म
और मानव का कर्म।
और पापीयों को मिले
उनकी करनी का दंड।
तभी सुख शांती से रह
पायेंगे पृथ्वी पर सबजन।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ-साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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