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तुमसे न कर सकी मैं मुलाकात क्या करूँ

संगीता केसवानी
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तुमसे न कर सकी मैं मुलाकात क्या करूँ
दिल में दबे रहे मेरे जज़्बात क्या करुँ।

खामोश वो नज़र ही कई वार कर गई
बोले बिना किए सवालात क्या करूँ।

थम सा गया है वक़्त तेरे इंतज़ार में
बदले कभी नही मेरे हालात क्या करुँ।

क्यों ज़ुल्म ढा रही है तेरी याद अब सनम
होती है आँसुओं की ही बरसात क्या करूँ।

कितने सफे भरे मुहोब्बत के रंग से
अल्फ़ाज़ कर सके न करामात क्या करूँ।

परिचय :- संगीता केसवानी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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