सुश्री हेमलता शर्मा “भोली बैन”
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे की खबर पर जैसे ही दृष्टि पड़ी तो बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं हुआ हम तो पहले से ही जानते थे कि यही होना है नहीं होता तो जरूर आश्चर्य होता मियां। एक कहावत तो तुम ने सुनी होगी? हमारे मालवा में बहुत बोली जाती हैं कि “जो दूसरा वास्ते खाड़ा खोदें, उज उनी खाड़ा में सबका पेला पड़े।” मतलब कहने का यह पड़ रिया है कि अब तो सुधर जाओ मियां।
आज अफगानिस्तान की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। तालिबानियों ने सरकार का तख्ता पलट कर राष्ट्रपति को भागने को मजबूर कर दिया। महिलाओं और बच्चियों की दुर्गति हो रही है। यहां तक कि अफगानिस्तान का नाम भी बदल दिया है और पड़ोसी देशों के पास समर्थन के अलावा कोई चारा नहीं। परिस्थितियां बद से बदतर हो रही है फिर भी भारत में रहने में तुमको डर लगता है मियां जबकि भारत संवैधानिक दृष्टि से धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने के बावजूद सबको अपनी गोद में बिठाकर मां जैसा लाड जताता आ रिया है। सालों से तुम्हारा विश्वास आतंकवाद में ही रहा है लेकिन तुम्हारी अक्कल क्या घास चरने गई है कि सांप को पालोगे तो सांप तुम्हें भी डस सकता है मियां। आखिरकार आतंकवाद और जिहाद के नारे ने तुमको डुबो ही दिया। अब तो सुधर जाओ मियां।
अफगानिस्तान से आ रही खबरें रोज टीवी पर दिखाई जा रही है। वह जो पूरे विश्व का आका बना फिरता है उसने भी अपनी चाल खेल दी हैं और पैर पीछे हटा लिए हैं। अभी तुम बड़े खुश हो रहे हो मियां, लेकिन जल्दी ही यह सांप अजगर बनकर तुमको भी निकल लेगा मियां। अरे मियां तुमने कभी पड़ोसी धर्म तो निभाया इच नी लेकिन देश धर्म तो निभाओ यह मत भूलो कि गलत का साथ दोगे तो तुम कभी सही नहीं केलाओगे इसलिए अब तो सुधर जाओ मियां।
अभी तक तो कोरोना राक्षस ही दुनिया की सबसे बड़ी चिंता थी इस तरफ तो ध्यान ही नहीं दिया लोगों ने कि अंदर ही अंदर तुम यह खिचड़ी पका रहे थे मियां, सब झोलझाल है, कहीं तो ढोल में पोल है। अंदर ही अंदर ना जाने कुछ का कुछ चल रिया है। भारत तो सद्भावना और शांति का राग अलापते-अलापते कई बार चोट खा चुका है। अपने को तो बहुत सतर्क रहने की जरूरत है नहीं तो मालवा में एक कहावत और चलती हैं- “दो पाड़ों की लड़ाई में बागड़ का चूरा हो जाता है बिना बात के ही।” इसलिए नजर तेज रखो, अपनी तैयारी रखो, क्योंकि अपने तो पड़ोसी भी भरोसे लायक नहीं है भिया, अब तो सुधर जाओ मियां। लो एक तो आज छुट्टी का दिन, उपर से मेरे तो पोये-जलेबी ठंडे हो गये तुमको समझाने में मियां, अब तो सुधर जाओ मियां।
निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश)
जन्म तिथि : १९ दिसम्बर १९७७ जन्मस्थान आगर-मालवा
शिक्षा : स्नातकोत्तर, पी.एच.डी.चल रही है
कार्यक्षेत्र : वर्तमान में लेखिका सहायक संचालक, वित्त, संयुक्त संचालक, कोष एवं लेखा, इंदौर में द्धितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत है। इससे पूर्व पी.आर.ओ. के रूप में जनसम्पर्क विभाग में कार्य कर चुकी है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती है। म.प्र.संदेश, अभिव्यक्ति जैसी शासकीय पत्रिकाओं एवं दैनिक भास्कर, नई दुनिया जैसे प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपके आलेख एवं कविताएं प्रकाशित होती रही है। सामाजिक क्षेत्र- इंदौर शहर ही है। हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक सम्मान, राष्ट्रीय सुरभि साहित्य संस्कृति अकादमी से उत्कृष्ट कवियित्री सहित अनेक सामाजिक साहित्यिक संस्थाओं से विभिन्न सम्मान प्राप्त हो चुके है। शासकीय क्षेत्र में भी उत्कृष्ट कार्य हेतु तीन बार सम्मानित किया जा चुका है।
उपलब्धि : म.प्र.राज्य लोक सेवा आयोग से चयनित आगर-मालवा जिले की प्रथम प्रशासनिक अधिकारी, विभिन्न अवसरों पर मंच संचालन, मालवा थियेटर के कलाकार के रूप में मालवी बोली के प्रचार-प्रसार हेतु ’’मालवा-री-मिठास’’ के माध्यम से प्रचार-प्रसार एवं आनंदक के रूप में विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से समाज सेवा एवं जन कल्याण कार्यो में भागीदारी करना है । आपके लेखन का उद्देश्य मातृभाषा हिन्दी का प्रचार-प्रसार करना है।
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