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देश की माटी चंदन-सी

श्रीमती विभा पांडेय
पुणे, (महाराष्ट्र)
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गर वतन की बात है तो हम सदा तैयार हैं ।
देश की माटी है चंदन, उससे हमको प्यार हैं।
दिल की बातें हम कहें क्या, क्यों बताएँ,
क्यों ये है? हमको अपनी इस धरा से प्यार बेशुमार है।

चाहे जितना सोच लो, तुम तौल कर बातें करो,
पर वतन की बात आए तो न पल जाया करो।
है यही कर्तव्य कि अपने वतन को दुलार दें।
कर्ज़ है मिट्टी का हमपर, उस पर ये जाँ निसार है।

आज हम जो चैन से बैठे हैं, बातें कर रहे
और दूजों पर बड़े चुन-चुन के तंज कस रहे।
ये न भूलो कि कई दीपक बुझे हैं राह में
अपनी आज़ादी उन्हीं कुर्बानियों का सार है।

ये है वीरों की धरा, सौभाग्य इसपर जन्में हम।
छोड़ेंगे ना इसको जब तक है हमारे दम में दम।
देश अपना, भूमि अपनी, इसकी हम संतान हैं,
इसकी रक्षा में निछावर तन, मन, धन और प्राण है।

परिचय :- श्रीमती विभा पांडेय
शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी एवं अंग्रेजी), एम.एड.
जन्म : २३ सितम्बर १९६८, वाराणसी
निवासी : पुणे, (महाराष्ट्र)
विशेष : डी.ए.वी. में अध्यापन के साथ साथ साहित्यिक रचनाधर्मिता में संलग्न हैं ।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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