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मां भारती

निरुपमा मेहरोत्रा
जानकीपुरम (लखनऊ)
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तेरी माटी में मां हम सब,
खेल कूद कर बड़े हुए ।
तेरा पौष्टिक अन्न ग्रहण कर,
हष्ट-पुष्ट बलवान हुए ।
अब मेरी बारी मां तेरा,
कर्ज चुकाना बाकी है;
कुछ कर्ज चुकाना बाकी है,
कुछ फर्ज निभाना बाकी है।

स्वच्छ गगन हो, शुद्ध वायु हो,
निर्मल जल की धारा हो;
धानी आंचल लहराता हो,
सोंधी सुगंध माटी की हो।
इन विभूतियों को सहेजकर
रखने की मेरी बारी है,
क्योंकि
कुछ कर्ज चुकाना बाकी है,
कुछ फर्ज निभाना बाकी है।

शुद्ध आचरण का स्वामी,
भारत का हर एक बालक हो;
देश भक्ति से भरा हुआ,
मां वंदन का मतवाला हो।
सभ्य संस्कृति को संजोकर
रखने की मेरी बारी है,
क्योंकि
कुछ कर्ज चुकाना बाकी है,
कुछ फर्ज निभाना बाकी है।

विश्व गुरु की पदवी पाए,
जग में तेरा मान बढ़े;
धरा से अम्बर तक लहराए,
‘जै भारती’ हर लाल कहे।
अपने तिरंगे को शिखर तक
ले जाने की तैयारी है,
क्योंकि
कुछ कर्ज चुकाना बाकी है,
कुछ फर्ज निभाना बाकी है।

परिचय :- निरुपमा मेहरोत्रा
जन्म तिथि : २६ अगस्त १९५३ (कानपुर)
निवासी : जानकीपुरम लखनऊ
शिक्षा : बी.एस.सी. (इलाहाबाद विश्वविद्यालय)
साहित्यिक यात्रा : कहानी संग्रह ‘उजास की आहट’ सन् २०१८ में प्रकाशित। अभिव्यक्ति साहित्यिक संस्था द्वारा प्रति वर्ष प्रकाशित कहानी संकलनों में कहानियां प्रकाशित। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानी, कविता, यात्रा वृत्तांत तथा लेख प्रकाशित।
सम्प्रति : भारतीय स्टेट बैंक से सन् २०१३ में सेवानिवृत्ति के पश्चात स्वतंत्र लेखन एवं सामाजिक संस्था ‘श्री महिला शक्ति मंडल फाउंडेशन लखनऊ’ के माध्यम से सामाजिक सरोकारों से जुड़ाव।
सम्मान : लोपामुद्रा सम्मान- २०१८
घोषणा पत्र : यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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