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तितली बन उड़ जाने दो

मुस्कान कुमारी
गोपालगंज (बिहार)
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मुझे मत मारो इस स्वर्ग सी कोख में
मुझे इस जग में अपना अस्तित्व बनाने दो
मुझे समझो ना तुम एक फूल की कली
बाग से तितली बन उड़ जाने दो।

मैं हूं एक पेड़ इस धूप में
मुझे इस जग में अपना छाया फैलाने दो
मुझे समझो ना एक फूल की कली
बाग से तितली बन उड़ जाने दो।

मैं हूं नही एक बोझ सी घर में
मुझे दो घरों को संभालना है
मैं आपकी पैसे लेने नही पापा
ढेर सारी खुशियां बांटने आई हु
मुझे उन खुशियों को बाटने दो
मुझे समझो ना एक फूल की कली
बाग से तितली बन उड़ जाने दो।

मैं हूं एक छोटी सी परी इस जमाने की
मुझे पापा की रानी बन जाने दो
मुझे समझो ना एक कली की
बाग से तितली बन उड़ जाने दो।

मैं हूं एक छोटी सी चिड़िया इस दुनिया में
जो दो घरों को संभालेगी
मुझे जीने दो
मैं कुछ करना चाहती हूं
मुझे भी कुछ करने दो
मुझे समझो ना एक फूल की कली
बाग से तितली बन उड़ जाने दो।

मुझे समझो ना बेटो से कम
मुझे कुछ करने के लिए मौका तो दो
मैं बेटे से अच्छा करूंगी पापा
एक बार इस कोख से निकलने तो दो।

मुझे कैद ना रखो एक घर में
मुझे स्कूल जाने तो दो
बेटे से अच्छा मार्क्स लेकर आऊंगी
एक बार तो विश्वास कर लो
मुझे पढ़ने दो ना पापा
जैसे रजिया सुल्तान बनी
मुझे भी वैसे डीएसपी बन जाने दो
मेरे पढ़ने से दो घर शिक्षित होगा
मुझे एक बार इस चारदीवारी से निकलने तो दो
मुझे समझो ना एक फूल की कली
बाग से तितली बन उड़ जाने दो।

मुझे मत मारो उस स्वर्ग सी कोख में
मुझे जग में अपना अस्तित्व बनाने दो
मुझे समझो ना तुम एक फूल की कली
बाग से तितली बन उड़ जाने दो।

परिचय :- मुस्कान कुमारी
निवासी : गोपालगंज (बिहार)
शिक्षा : इंटर सेकेंडरी, सेंट्रल हिंदू गर्ल्स स्कूल वाराणसी

घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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