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गुरु जीवन है

रूपेश कुमार
चैनपुर, सीवान (बिहार)
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विश्व मे सबसे पहले
पूजें जाते है गुरु,
विश्व मे सबसे महान
होते है गुरु,
गुरु बिन ज्ञान कि
कल्पना नही कि जाती,
गुरु बिन मानवता का
कोई अस्तित्व नही होता,

गुरु हमें ज्ञान कि
शिक्षा, दीक्षा देते है,
गुरु हमारे सपनों को
हमेशा साकार करते है,
जीवन के सबसे पहले
गुरु माँ-बाप होते है,
जीवन के सबसे पहली
पाठशाला हमारी घर होती है,

सबके लिए गुरुओं कि
जरुरत होती है,
भले शिक्षा हो या कला,
खेल, अभिनय,
गुरु बिन कुछ नही है
सकारमय,
गुरु बिन जीवन है
अंधकारमय,

गुरु बिन जीवन है
अशिक्षित,
गुरु बिन जीवन है
पशुओं के समान,
जहां गुरु नही होते
वहाँ बुद्धि नही होती,
जहां गुरु नही होते वह
जगह जंगल के समान है,

गुरु से ज्ञान कि
उत्पति होती है,
ज्ञान से विज्ञान,
साहित्य, कला, अभिनय,
समाजिक रहन सहन
कि उत्पति होती है,
गुरु बिन जीवन का
अस्तित्व ही क्या है,
गुरु है तो दुनिया है,
दुनिया है तो,
संसार है और संसार है
तो ज्ञान का भंडार है !

परिचय :- रूपेश कुमार
शिक्षा : स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डिप्लोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी !
निवास : चैनपुर, सीवान बिहार
सचिव : राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान
प्रकाशित पुस्तक : मेरी कलम रो रही है
सम्मान : कुछ सहित्यिक संस्थान से सम्मान प्राप्त !
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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