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हनुमत्कृपा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा
जानकीपुरम (लखनऊ)
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भक्त है हनुमान जी हैं दयालु बहुत,
अपने भक्तों की चिंता वे करते सदा,
उनके भक्तों को जग में सताते हैं जो,
ऐसे दुष्टों पे चलती है उनकी गदा। भक्त…

उनकी महिमा उन्ही को सुनाने के मित,
उनके भक्तों ने कुछ सिद्ध मंदिर चुने,
पूर्ण निर्विघ्न उनका ये संकल्प हो,
इसलिए भक्तों ने ताने बाने बुने।
आस्था जिनकी हो हनु के चरणों मे दृढ़,
उनके मारग की कांटे वे चुनते सदा। भक्त…

भक्तों को तीव्र गर्मी सता थी रही,
हनु ने मेघों को आदेश था दे दिया।
उनके आदेश को शीश धर मेघों ने,
पाठ के दिनों मौसम सुहाना किया।
झांक अंतर में सब कष्ट हरते है वो,
ये ही हनुमान जी की निराली अदा। भक्त…

राम सुमिरन करो, नित चालीसा पढ़ो,
मन मे हनुमत की भक्त्ति पनप जायेगी।
भक्ति में डूब पाया अगर तेरा मन,
जग की कोई भी सुविधा नहीं भायेगी।
कूप से निकलकर सबका हित सोंच तू,
क्यों कि परहित से ही टलती विपदा। भक्त..

परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा
निवास : जानकीपुरम (लखनऊ)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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