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खत का क्या महत्व

संजय जैन
मुंबई (महाराष्ट्र)
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क्या होते थे उस समय के
खत हमारे और तुम्हारे लिए।
पर समय परिवर्तन ने किया
कुछ इस तरह का खेल।
बंद होने लगे पत्रों को
लिखने का वो दौर।
क्योंकि आ गये है अब
संचार के नये उपकरण।
जिसके कारण स्नेह प्रेमभाव
और आत्मीयता मिट रही है।।

क्या दौर हुआ करता था
जब दिलकी बातें कहने।
सुख दुख और बातें बताने के लिए
हाथ से खत लिखते थे।
और लिखने से पहले
बहुत सोचा करते थे।
फिर सब समाचारों को
क्रमश: खत में लिख पाते थे।
और खत लिखते हुए
उन्हें अपने करीब पाते थे।।

खास बात तो ये होती थी।
कि लिखने और पाने वाले को।
खत आने का इंतजार रहता था।
इसलिए डांकिया की प्रतिक्षा करते थे।
और घर के अंदर बहार
बारबार आके देखते थे।।

खत को पाकर और पढ़कर जो
जो चैंन और सकून मिलता था।
उसे हम व्यां नहीं कर सकते
बस ख़तको दिलसे लगाते थे।
और उसे बार बार पढ़कर
करीब उनके पहुँच जाते थे।
और अंतरमन से सोचते थे कि
किस तरह का उत्तर दिया जाए।
जिससे ह्रदय प्रसन्न हो कर
परिवार में खुशी छा जाये।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ-साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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