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एक शिक्षक

मुस्कान कुमारी
गोपालगंज (बिहार)
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कभी उसे उदास नही देखा
चाहे हो उसके जीवन
में लाख परेशानियां
पर कभी उसे
चिंतित नहीं देखा
कभी खुद के
लिए ना जीकर
मैने उसे दूसरो
के लिए जीते देखा
हां मैंने एक ऐसे व्यक्ति को
शिक्षक के रूप में देखा।

चाहे जिंदगी की परेशानी हो
या हो किताबो की परेशानी
मैने उसे बताते ही
हल करते देखा
कभी रुकने के लिए नही
हमेशा आगे बढ़ने की
प्रेरणा देते देखा
हां मैंने एक ऐसे व्यक्ति को
शिक्षक के रूप में देखा।

निरंतर चलने का
उसका वो इरादा
मैने बच्चो के भविष्य
को बनाते देखा
परिवार है उसका भी
पर मैने दूसरो के बच्चो को
अपना बच्चा बनाते देखा
और अपने परिवार
से अलग हटकर
विद्यालय को भी
परिवार बनाते देखा
हां मैंने एक ऐसे व्यक्ति को
शिक्षक के रूप में देखा।

जीवन में कभी पूर्ण
विराम न लगने देना
ऐसा उनको समझाते देखा
किसी भी बात को
दूसरो को समझाने से पहले
खुद में उतारते देखा
कभी किसी
बात पे मारकर
किसी बच्चे
को रुलाते देखा
तो अगले ही क्षण
जोकर बनकर
सबको हसाते देखा
हा मैने ऐसे व्यक्ति को
शिक्षक के रूप में देखा।

चाहे हो बच्चे या हो
समाज के लोग
जब भी किसी को
मदद की जरूरत हो
उनको मदद करते देखा
अपने कर्तव्य और धर्म को
उनको हमेशा निभाते देखा
और पूरे देश का
भविष्य उन पे निर्भर है
और उस भविष्य को बनाते देखा
हां मैंने एक ऐसे व्यक्ति को
शिक्षक के रूप में देखा।

परिचय :- मुस्कान कुमारी
निवासी : गोपालगंज (बिहार)
शिक्षा : इंटर सेकेंडरी, सेंट्रल हिंदू गर्ल्स स्कूल वाराणसी

घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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