Sunday, November 24राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

औरत

योगेश पंथी
भोपाल (भोजपाल) मध्यप्रदेश
********************

ईश्वर की अदभुत रचना हे
जो कई रुपों में ढलती हैं।

हर एक अवस्था में औरत
अपना स्वरूप बदलती हे॥

हर नए रिश्ते में औरत
अपनी रीत निभाती हैं ।

कभी तो बनती हैं बेटी
कहीं बेहन बन जाति हे॥

कहीं तो हे दादी नानी
कहीं तो माँ केहेलाती ।

कहीं पे बनती राधा प्यारी
कहीं अर्धांगि बन जाती हैं ॥

सबसे बड़ा रिश्ता हैं माँ का
बच्चो की नीव जो भर्ती है।

धूप पढ़े जब बच्चो पर
तो शीतल साया करती हैं॥

बेहन बने तो मर्यादा की
होती हे इक पावन रेखा ।

घर को जगमग करे रोशन
कोई मित्र नही एन्सा ॥

होती हे जब राधा प्यारी
तन्हाई में मन बेहेलाती हे ।

दिल के वीराने उपवन में
यादों के फूल खिलाती हे॥

और बने जब जीवनसाथी
घर को वो स्वर्ग बनाती हे।

अपना घरबार बसाने को
अपना अस्तित्व लुटाती हे॥

पुरुष की खातिर खोती
अपना तनमन सुंदर काया।

मन में कोई अफसोस नही
क्या खोया और क्या पाया॥

इसी लिए तो जग जननी
ये जग माता केहेलाती हे।

फिर क्यूँ निर्लज्ज समाज में
ये पैरो में रोँदि जाती हे ॥

माँ बेहेन और बेटी पुरुषों को
क्यूँ उसमे नजर नही आती ।

अपनी बेटी सम्मुख हो
पर ईनको शर्म नही आती॥

जब जननी पर हीं पुरषों की
मर्यादित नजर नही होती ।

फिर न्यायालयों में दरिंदों की
हे सुनवाई क्यूँ कर होती ॥

अपनी माँ की इजजत की भी
क्या कोई भरपाई होती हे॥

अपने बच्चो के दुष्कर्मों
से जब भी माँ शर्माती हे ।

घृणित पुरुष प्रधान हे तो
शक्ति अबला केहेलाती हे॥

घृणित पुरुष प्रधान हे तो
शक्ति अबला केहलाती हे

परिचय :- योगेश पंथी
निवासी : टीलाजमालपुरा भोपाल (भोजपाल) मध्यप्रदेश
राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से लेखन यात्रा प्रारंभ ….
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *