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एक सैनिक कि वतन से मौहब्बत

कु. आरती सिरसाट
बुरहानपुर (मध्यप्रदेश)

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वतन के लिए जीते हैं
वतन पर ही वो मरते हैं…!
बेइंतेहा, बेमिसाल, बेपनाह
मौहब्बत वो वतन से ही करते हैं..!!

देखकर उनकी वर्दी कि चमक
को दुश्मन भी कोसों दूर भागते हैं…!
एक हाथ में तलवार तो दूसरे हाथ
में वो अपने परिवार को रखते हैं..!!

आने ना पाएं कोई भी आँच राष्ट्र पर,
मातृभूमि की कसम रोज वो खाते हैं…!
नहीं कोई हवाओं और वर्षा का डर
वो तो तूफानों का भी रूख मोड़ देते हैं..!!

ना दिन कि कोई परवाह, ना
ही रातों का चैन वो जानते हैं…!
भगवान भी ना कर सकें इतनी रक्षा
वो तो ईश्वर की तरह पूजें जाते हैं..!!

परिचय :- कु. आरती सुधाकर सिरसाट
निवासी : ग्राम गुलई, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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