संध्या नेमा
बालाघाट (मध्य प्रदेश)
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निज की लेखनी से कहती है,
अपने दिल की एक एक बात।
मन में तेरे भय न किसी का,
करती सदा है हक़ की बात।।
डरती नहीं अंधेरों से भी,
न करती डरने की बात।
सच्चा पथ अपनाकर कहती,
दिन को दिन व रात को रात।।
मेरे साथ तू हर पल रहती,
हमराही सा मिलता साथ।
मेरे मष्तिष्क में है बसती,
अपनों संग रहती है साथ।।
दोस्तों पर यदि आता संकट,
सदा तू बांटे उनका हाथ।
अपना खास समझती सबको,
हर पल देती सबका साथ।।
तेरे मन में केवल रहती,
हरदम अपनों की परवाह।
तू ही सदा निकाला करती,
उत्तम पथ चलने की राह।।
तू पी जाती है दुख अपने,
खुशियां बांटे सबके संग।
तू प्रभु का वरदान है लगती,
खुद व सबको भरे उमंग।।
तेरे सब विचार अलबेले,
चिंता मुक्त हो जाते अपने।
तू हरदम करती प्रयास है,
सब अपनों के सच हों सपने।।
नन्हे परिंदों की खातिर ही,
तेरे मन बसती है चाह।
उन्हें गगन में उड़ने हेतु,
सदा दिखाती है तू राह।।
परिचय : संध्या नेमा
निवासी : बालाघाट (मध्य प्रदेश)
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।
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