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कोरोना के चलते : किसानों की दयनीय दशा….

नूपुर जैन
शंकर नगर दिल्ली

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आज पूरा विश्व कोरोना जैसी विशाल महामारी से लड़ रहा है। और यह बड़े दुख की बात है कि, इसके चलते भारत में सभी लोगों का जीवन बहुत बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पिछले १ वर्ष से सभी लोगों में निराशा और चिंता का स्तर पहले से और अधिक बढ़ता हुआ ही पाया गया है। और इसी चिंता और निराशा के कारण, कई किसानों की दशा इतनी दयनीय हो गई है कि, उनमें “आत्म-हत्या” जैसे विचार भी पनपने लगे है। भारत में किसानों की दशा इतनी दयनीय हो गई है कि, वे सभी इस महामारी से अत्यंत दुखी एवं ग्रसित हो चुके है।

उनके इस निराशा के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे :-
१. ऋण का भुगतान कर पाने में असमर्थ होना
२. अनियमित मौसम की स्थिति के कारण फसलों को नुकसान पहुँचना
३. सिंचाई की पर्याप्त सुविधाओं का उपलब्ध न होना
४. सरकार के नीतियों में बढ़ती असमानता
५. स्वास्थ्य-संबंधी मुद्दे
६. व्यक्तिगत-मुद्दे
७. गहरे कर्ज़ में डूब जाना
८. परिवार की मांगों को पूरा कर पाने में असमर्थ होना

भारत के ज्यादातर छोटे किसान कर्ज़ लेकर खेती करते हैं। कर्ज वापस करने के लिए यह जरुरी है कि फसल अच्छी हो, लेकिन जिस प्रकार के हालात चल रहे हैं, उसमें किसानों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों को सारी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हो पा रही। ज्यादातर किसान खेती के लिए वर्षा पर निर्भर रहते हैं। अब ऐसे में यदि वर्षा न हो तो किसान की फ़सल तो पूरी तरह बरबाद हो ही जाती है पर साथ-ही-साथ किसान की सारी मेहनत पर भी पानी फिर जाता है। साल भर खाने के लिए ना कुछ रहता है, और‌ ना ही वह अपनी एवं अपने परिवार की जरूरतों को पूरा कर पाने में सक्षम होते है। जिसके कारण वह कर्ज़ लेने पर मजबूर हो जाते है, और बाद में ऋण चुकाने में असमर्थ होने पर उन्हें कर्ज का बोझ अलग से उठाना पड़ता है। वर्षा के अभाव के कारण, उच्च ऋण का बोझ आदि परिस्थितियाँ किसान को कर्ज़ के बोझ तले दबा देती हैं और कई किसान इस कर्ज के दबाव को सहन नहीं कर पाते और जब फसल की सही कीमत नहीं मिलती है तो वह तनाव में रहने लगते है जिससे उनमें बुरे विचार जन्म लेने लगते है। इसका असर उनके पूरे परिवार पर पड़ता है, जिसके कारण बच्चे भी स्कूल छोड़कर खेती-बाड़ी के कामों में हाथ बँटाने लगते हैं और जिससे उनका भविष्य भी उज्जवल होने के बजाय और अधिक अंधकारमय हो जाता है। किसान हमारे अन्नदाता है। उनकी यह दयनीय स्तिथि पूरे राष्ट्र के लिए शर्म की बात है। सरकार को किसानों के स्थिति में सुधार लाने के लिए भी कुछ कड़े कदम उठाने चाहिए।

किसानों की स्तिथि में सुधार लाने के लिए सरकार कुछ उपाए कर सकती हैं जैसे :-
✓ फसलों की खेती, सिंचाई और कटाई के लिए भी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जानी चाहिए
✓ सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि किसानों को निश्चित रूप से खरीद मूल्य दिया जाए। उनके साथ कोई अन्याय ना हो।
✓ सरकार को विभिन्न संस्थाओं द्वारा किसानों का शोषण रोकना चाहिए। क्योंकि, आज हमारे देश की जैसी स्थिति दिखाई दे रही है उसमें काम के अभाव के चलते लोगों में जो लालच, लोभ, छल-कपट आदि का भाव जन्मा है उसके रहते शोषण, भ्रष्टाचार, दुराचारों की संख्या में और अधिक वृद्धि देखने को मिली है।
✓ सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकार द्वारा शुरू की गईं सब्सिडी और योजनाएँ किसानों तक पहुँच रहे हो ताकि, वों भी उन योजनाओं की सहायता ले सके।

आजकल, कोरोना महामारी के चलते सब के व्यवसाय तथा व्यापार ठप पड़ गए है। ऐसे में सभी लोगों में निराश और उदासीनता का भाव आना है‌ स्वभाविक है। खासकर, कृषियों के जीवन पर इससे बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है। इसलिए सरकार को इसका गहन निरक्षण कर इस समस्याओं को नियंत्रित करने की आवश्यकता है। ताकि, “किसान की इस दयनीय दशा” का भी कुछ निवारण हो सके। नहीं तो हमारे भारत जैसे कृषि-प्रधान देश में यदि किसानों की ऐसी अवस्था होगी तो हमारे देश की प्रगति और विकास पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा जो उचित नहीं होगा।

परिचय :-  नूपुर जैन
निवासी : शंकर नगर, कृष्णा नगर दिल्ली
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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