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कहने की ही शान हुआ हूँ

नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार म.प्र.
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कहने की ही शान हुआ हूँ।
मैं कितना नादान हुआ हूँ।

रखते-रखते खैर-ख़बर सब,
ख़ुद से ही अंजान हुआ हूँ।

सोचे लेकिन मिल ना पाये,
उन सपनों की खान हुआ हूँ।

सुनकर बातें सब अंदर की,
दीवारों के कान हुआ हूँ।

कर के थोड़ी किस्सागोई,
मैं अपनी पहचान हुआ हूँ।

नींदों के संग ख़्वाब नहीं हैं,
सुनकर मैं हैरान हुआ हूँ।

परिचय :- नवीन माथुर पंचोली
निवास – अमझेरा धार म.प्र.
सम्प्रति – शिक्षक
प्रकाशन – देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित।
सम्मान – साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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