Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

क्या रोजगार पा सकेंगे हम

अख्तर अली शाह “अनन्त”
नीमच (मध्य प्रदेश)
********************

एक बात पूंछनी है रेहबरों बताओगे,
सच-सच बताओगे,
क्या रोजगार पा सकेंगे हम।
यूँ रोजगार पा सकेंगे हम।।

वादा किया था आप हमको देंगे रोजगार।
आएंगी रोनकें घरों में आएंगी बहार।।
उतरेगा बदन का लिबास जो है तार-तार।
सरकारी नौकरियों से कर पाएंगे श्रृंगार।।
सोचा न था निजीकरण पे आप जाओगे।
सारी ही नौकरियाँ ठेकों पे उठाओगे।।
कुछ को बढ़ाओगे,
क्या रोजगार पा सकेंगे हम।
यूँ रोजगार पा सकेंगे हम।।

विश्वास किया आपको हम चुनके ले आए।
परचम उठाए आपके गुणगान भी गाए।।
कुर्सी पे बिठाया है ऐसे पैर जमाए।
जिनको हिलाने कोई शूरवीर न पाए।।
उम्मीद न थी हमसे यूँ नजरें चुराओगे।
विश्वास एक जगा था बड़े काम आओगे।।
खुशियां लुटाओगे,
क्या रोजगार पा सकेगें हम।
यूँ रोजगार पा सकेंगे हम।।

जाकर के नजर फेर लोगे किसको पता था।
आश्वासनों की भेंट दोगे किसको पता था।।
खुद आप महलों में रहोगे किसको पता था।
हमको बुरा भला कहोगे किसको पता था।।
घर बार बेच दोगे खुद जलेबी खाओगे।
एहसान मानने की जगह भूल जाओगे।।
मजे खुद उड़ाओगे,
क्या रोजगार पा सकेगें हम।
यूँ रोजगार पा सकेंगे हम।।

सपने हमारे चूर-चूर हो गए हुजूर।
बदले हैं आप कितने क्रूर हो गए हुजूर।।
थे जितने पास उतनी दूर हो गए हुजूर।
दिल में हजारों क्यों फितूर हो गए हुजूर।।
अब और कितना आप हमको बरगलाओगे।
उंगली पे और कितने दिनों तक नचाओगे।।
बुद्धू बनाओगे,
क्या रोजगार पा सकेंगे हम।
यूँ रोजगार पा सकेंगे हम।।

“अनंत” अब भी जागो सुनो देर न करना।
सत पथ पे चलो अब भी अगर तुमको उभरना।।
शक्ति है एकता में है गुण इसका निखरना।
पतझड़ को बुला लाएगा यूँ टूट बिखरना।।
नफरत की आग में ये देश क्या जलाओगे।
पुरखों की पगड़ी अपने लिए बेच खाओगे।।
सबको रुलाओगे,
क्या रोजगार पा सकेंगे हम।
यूँ रोजगार पा सकेंगे हम।।

परिचय :- अख्तर अली शाह “अनन्त”
पिता : कासमशाह
जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस)
सम्प्रति : अधिवक्ता
पता : नीमच जिला- नीमच (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *